श्रीनाथजी की छवि बनाकर जुटा सकते हैं रोजगार
राजसमंदPublished: May 31, 2020 04:37:39 pm
बिल्ड अप इण्डिया- नाथद्वारा में होता है बड़े स्तर पर काम
श्रीनाथजी की छवि बनाकर जुटा सकते हैं रोजगार
गिरिराज सोनी
नाथद्वारा. लॉकडाउन के चलते खाली हुए हाथ को काम की दरकार है। ऐसे में हर क्षेत्र में नए उपक्रम की तलाश जारी है, वहीं कुछ परम्परागत उपक्रम को बढ़ावा देने की जरूरत महसूस की जा रही है, ताकि उसमें नए रोजगार के अवसर बनाए जा सकें। नए हाथों को काम दिया जा सके। यहां श्रीनाथजी की छवि का निर्माण आदि का कार्य बेहतर ढंग से किया जाता है, जो पूरे देश में ख्यात है। लॉकडाउन के दौरान ये व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ है। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का मानना है कि श्रीनाथ जी के दर्शन को हर साल लाखों लोग यहां आते हैं और यहां से श्रीनाथ जी की छवि ले जाना नहीं भूलते। यदि यहां लौटे प्रवासी युवाओं को यहां के प्रशिक्षित लोगों से साथ जोड़ा जाए तो इस व्यवसाय में और निखार आ सकता है। इसके लिए सरकार व प्रशासन से मदद की जरूरत है।
ऐसे बनती है छवि
इस कार्य में सबसे पहले हार्डबोर्ड की कटिंग कर प्रभु श्रीनाथजी या अन्य देवी देवताओं के स्वरूप को बनाया जाता है। इसके बाद उस पर नगीने एवं सोने आदि का वर्क के लिए उपाड़ का कार्य किया जाता है। ये काफी मेहनती कार्य है, अत: इसके लिए कौशल की जरूरत होती है। लगातार अभ्यास से ये हुनर विकसित किया जा सकता है। अभ्यास के साथ-साथ मजदूरी में भी इजाफा होता रहता है। आज कई परिवार इसी हुनर के बूते चल रहे हैं। हालांकि लॉकडाउन के चलते अभी सबकुछ ठप पड़ा है, फिर भी लॉकडाउन खुलने के साथ ही इसमें फिर से रौनक आने लगेगी।
प्रशिक्षण की सुविधा मिले तो बने काम
कुछ प्रवासी युवाओं से जब से इस संबंध में बात की तो उन्होंने कहा कि ये काम अच्छा है और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। यदि सरकार निवेश व प्रशिक्षण में मदद करे तो इस तरह के काम में कई युवा रूचि ले सकते हैं। इससे हमें भी दूसरे राज्यों में काम के लिए धक्के नहीं खाने पड़ेंगे और अपने परिवार के बीच में भी रहेंगे।
इस रोजगार में है अवसर
बाजार से जुड़े व्यापारियों एवं कारीगरों ने बताया कि इस कार्य में रोजगार के पूरे अवसर है। इस समय इस कार्य में शहर एवं आसपास के गांवों के लगभग ५०० से अधिक लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। इसमें कुछ का तो यह मुख्य रोजगार का जरिया है, वहीं कुछ लोग इस कार्य को पार्ट-टाईम भी करते हैं। शहर के बागोल निवासी राजू बागोरा ने बताया कि वो भी उपाड़ का कार्य करते हैं, जो उनका पार्ट-टाईम रोजगार है, इसके साथ वे चश्में की दुकान भी चलाते हैं। इस कार्य में लगे कारीगर भगवतीलाल बताते हैं कि यदि प्रवासी या अन्य युवा इसमें रोजगार तलाशते हैं तो उनको इस कार्य में काफी फायदा होगा और वे अपना जीवन यापन आसानी से कर सकेंगे।
प्रवासी युवाओं के लिए अच्छे अवसर
फिलहाल काम मंदा है, लेकिन ये काम काफी प्रचलित है और लॉकडाउन खुलने के साथ ही इसमें फिर से रौनक आने लगेगी। ऐसे में यदि प्रवासी युवाओं के कौशल का उपयोग इस काम में होने लगेगा तो इस व्यवसाय में और निखार आएगा। युवा इसमें मेहनत रोजगार आसानी से जुटा सकता है।
– पवन खंडेलवाल, व्यवसायी, नाथद्वारा