गोलियों की आवाज से घबराए ग्रामीण
ग्रामीणों के मुताबिक गुरुवार दोपहर करीब एक बजे राजा डेरा व आंबा कोना गांव के बीच जंगल में गोलीबारी की आवाज आना शुरु हुई। पहले तो किसी को कुछ समझ में नहीं आया कि फायरिंग क्यों हो रही है। कारण था कि पुलिस दस्ते को किसी ने भी जंगल की तरफ जाते हुए नहीं देखा था। इसके बाद ग्रामीणों को समझ में आ गया कि यह फायरिंग माओवादी संगठनों के बीच हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि गोलियों की आवाज दूर तक सुनाई दे रही थी। इससे घबरा कर ग्रामीणों घरों की तरफ भाग गए। खेतों में काम कर रहे कुछ किसान मेड़ों की पीछे छिप गए।
दोनों संगठनों को घेरने की कवायद
रुक- रुक कर करीब डेढ़ घंटे तक फायरिंग होती रही। दोपहर करीब 2:30 बजे फायरिंग बंद हुई। इस दौरान दोनों तरफ से किसी के मारे जाने की पुष्टि की जानकारी नहीं मिल सकी। इस मुठभेड़ के बारे में चैनपुर के थाना प्रभारी सुदामा राम का कहना है कि उन्हें मुठभेड़ की जानकारी मिली है। घटना के बाद बॉक्साइट ट्रकों का परिचालन बंद हो गया है। पुलिस अधीक्षक एचपी जनार्दन ने कहा कि राजडेरा इलाके में माओवादी और जेजेएमपी के बीच मुठभेड़ की सूचना मिली है। इस सूचना के बाद पुलिस ने ऑपरेशन शुरु किया है। दोनों नक्सली संगठनों को घेरने के लिए पुलिस कवायद कर रही है।
पुलिस दल ने किया था दौरा
बुधवार को पुलिस अधीक्षक जनार्दन ने चैनपुर प्रखंड के कुरुमगढ़ थाना क्षेत्र स्थित माओवादियों के गढ़ कहे जाने वाले कई गांव का दौरा भी किया था। भाकपा माओवादियों ने अपना ठिकाना बदल लिया है. माओवादी सुरक्षित स्थान खोजते हुए राजडेरा इलाके में पहुंच गये हैं, जबकि उस इलाके में पहले से नक्सली संगठन जेजेएमपी भी शरण लिए हुए है। इसलिए गुरुवार को जब माओवादी उस इलाके में घुसा, तो जेजेएमपी के साथ मुठभेड़ हो गयी है।
जेजेएमपी का इलाके में दखल
विगत दिनों से जेजेएमपी ने भी इलाके में अपना दबदबा बनाना शुरू किया है। माओवादियों के साथ-साथ जेजेएमपी सदस्यों को भी इलाके में देखे जाने की सूचना है। घटनास्थल व आसपास के क्षेत्रों में पिछले कई वर्षों से नक्सली संगठन माओवादी का दबदबा रहा है। इसलिए कयास लगाया जा रहा है कि मुठभेड़ भी इन्ही दोनों संगठनों के बीच हुई होगी।