उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र
झारखंड राज्य के घोर उग्रवाद प्रभावित गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड की 50 आदिवासी महिलाएं 28 एकड़ खेत में लेमन ग्रास की खेती कर रही हैं। 2 साल पहले शुरू हुई लेमन ग्रास की खेती ने आज पूरे देश में अपनी पहचान बना ली है। प्रधानमंत्री ने बिशुनपुर में हो रहे लेमन ग्रास की खेती की प्रशंसा की थी। आदिवासी महिलाएं लेमन ग्रास की खेती कर अपना जीवन स्तर सुधार रही है. बेती, नवागढ़, सेरका गांव में इसकी खेती की जा रही है।
प्रधानमंत्री ने की सराहना
लेमन ग्रास की खेती ने झारखंड में ग्रामीण और आदिवासी अंचल महिलाओं की तस्वीर बदल कर रख दी है। लेमन ग्रास के औषधीय गुणों के कारण इसकी खेती मुनाफे का सौदा बनती जा रही है। झारखंड में लेमन ग्रास की खेती से जुड़ी करीब १५ हजार महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर हैं बल्कि अपने परिवार का बेहतर पालन-पोषण कर रही हैं। महिलाओं की इस जीजिविषा के कारण ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (P.M. Modi ) ने मन की बात (Mann ki baat ) कार्यक्रम में लेमन ग्रास की खेती से जुड़ी महिलाओं का जिक्र करते हुए इनकी मेहनत और लगन की सराहना की।
5 जिलों में लेमन ग्रास
औषधीय पौधे लेमन ग्रास की खेती झारखंड के 5 जिलों के 10 प्रखंडों में होती है. इसके तहत खूंटी जिला का खूंटी प्रखंड, सिमडेगा के तीन प्रखंड टेठईटांगर, जलडेगा और बानो, लातेहार के मनिका और बरवाडीह प्रखंड, गुमला के बिशुनपुर और डुमरी प्रखंड तथा हजारीबाग के कटकमसांडी और दारू प्रखंड में लेमन की खेती होती है।
1500 सहायता समूह
गुमला के बिशुनपुर प्रखंड में करीब 1500 स्वयं सहायता समूह की दीदियों को लेमन ग्रास आजीविका का मुख्य जरिया बन गया है। चमेली देवी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष रूपमती देवी कहती हैं कि समूह से लोन लेकर लेमन ग्रास की खेती शुरू की। शुरुआत में 50 डिसमिल में इसकी खेती, जो अब बढ़ कर 65 एकड़ में हो गई है। रूपमती के मुताबिक लेमन ग्रास की खेती से कई फायदे हैं। एक तो खेती से पानी की बचत होती है, वहीं इसके साथ अन्य कृषि गतिविधियां भी की जा सकती है।
नींबू की तेज खुशबू
लेमन ग्रास लगाने के 3 से 5 महीने बाद इसकी पहली कटाई की जाती है। लेमन ग्रास तैयार हुआ है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए इसे तोड़कर सूंघें, सूंघने पर नींबू की तेज खुशबू आए तो समझ जाएं कि ये तैयार हो गया है। जमीन से 5 से 8 इंच ऊपर इसकी कटाई करें। दूसरी कटाई में 1.5 लीटर से 2 लीटर तेल निकलता है। तीन सालों तक इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ती है.
तेल 4 हजार रूपए प्रति किलो तक
4 महीने में तैयार होने वाले इस पौधे की काफी मांग है। इसकी पत्तियां और उससे निकलने वाले तेल से कई सामानों का निर्माण होता है। वहीं एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी एवं एंटी-फंगल गुण होने के कारण इसकी महत्ता काफी अधिक बढ़ जाती है। इसका उपयोग मेडिसिन, कॉस्मेटिक, डिटरजेंट समेत अन्य सामानों में उपयोग में लाया जाता है। लेमन ग्रास का तेल 2 हजार से 4 हजार प्रति किलोग्राम तक बाजार में बिकता है।