बांसों का जंगल
हाथियों को दूर रखने की ऐसी ही एक योजना पर काम कर रहा है रामगढ वन विभाग। गत वर्ष वन विभाग ने जंगली हाथी से प्रभावित मांडू, कुजू, पतरातू, गोला व रामगढ़ वन क्षेत्र के जंगलों में करीब एक लाख बांस के पौधे लगाकर जंगलों को घना बनाने की दिशा में काम किया है। इस वर्ष भी जिले के जंगलों में 50 हजार बांस के नए पौधे लगाए जा रहे हैं।
हाथियों का भरेगा पेट
इससे आसपास के गांवों में पानी की भी कमी नहीं होगी। हाथियों का प्रिय भोजन कोमल बांस व पत्ते हैं। वन विभाग की सोच यह है कि जंगल में मनपंसद भोजन मिलेगा तो हाथी गांव-खेत में प्रवेश नहीं करेंगे। दो साल के अंदर जब जंगलों में बांस के झाड़ पूरी तरह से घने हो जाएंगे, तो हाथियों का झुंड जंगल में रह जाएंगे। धीरे-धीरे गांवों में हाथी का उत्पात कम होगा।
भोजन के साथ पर्यावरण सुरक्षा
वन विभाग फिलहाल 800 हेक्टेयर वन भूमि में लगाए गए आठ लाख उपयोगी पौधों के ट्रेंच पर 15 प्रतिशत तक बांस के पौधे लगाकर घेराबंदी कर रहा है। वन विभाग की सोच है कि बांस के घने झाड़ जंगल में हाथियों को रोकने के साथ-साथ वातावरण को भी शुद्ध करेगा। बांस के पेड़ में सबसे अधिक काबन डाइऑक्साइड सोखने की क्षमता होती है। इससे आसपास के गांवों में पानी की भी कमी नहीं होगी। हाथियों का प्रिय भोजन कोमल बांस व पत्ते हैं। वन विभाग की सोच यह है कि जंगल में मनपंसद भोजन मिलेगा तो हाथी गांव-खेत में प्रवेश नहीं करेंगे।
3 साल में 8 लोगों की मौत
इन वन क्षेत्रों में हर साल जंगली हाथियों का झुंड उत्पात मचाते हैं। इस दौरान ग्रामीणों पर हमला करने के साथ-साथ घरों को ध्वस्त करते हैं। वहीं सैकड़ों एकड़ खेत में लगे फसलों को भी खा जाते हैं। नष्ट करते हैं। पिछले तीन साल का आंकड़ा पर गौर करें तो जंगली हाथियों के हमले से जिले में एक महिला समेत आठ लोगों की जान जा चुकी है। दर्जन भर लोग घायल हुए हैं। जंगल-पहाड़ से सटे गांव के लोग हमेशा हाथी के उत्पात से भयभीत रहते हैं।