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इस युवती इन गांवों में खड़ी कर दी ‘गुलाबी गैंग’ जैसी एक गैंग

locationरामगढ़Published: May 31, 2020 08:31:55 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

(Jharkhand News)उत्तर प्रदेश के ‘गुलाबी गैंग’ ( Gulabi gang ) की तरह संगीता ने भी गांवों में ऐसा मोर्चा संभाला कि शराबियों के होश फाख्ता (Drinker leave drink habit ) हो गए। पतली-दुबली दिखाई देने वाली संगीता ने अपने हौसलों से शराबियों को परास्त करवा दिया। समाज सेवा के लिए कृत संकल्प संगीता का अब नया रूप कोरोना योद्धा (Brave Corona Warrior )के तौर पर सामने आया है।

इस युवती इन गांवों में खड़ी कर दी गुलाबी गैंग जैसी एक गैंग

इस युवती इन गांवों में खड़ी कर दी गुलाबी गैंग जैसी एक गैंग

रामगढ़ (झारखंड): (Jharkhand News)उत्तर प्रदेश के गुलाबी गैंग ( Gulabi gang ) की तरह संगीता ने भी गांवों में ऐसा मोर्चा संभाला कि शराबियों के होश फाख्ता (Drinker leave drink habit ) हो गए। शराबियों को शराब से तौबा करने के लिए मजबूर कर दिया। पतली-दुबली दिखाई देने वाली संगीता ने अपने हौसलों से शराबियों को परास्त करवा दिया। समाज सेवा के लिए कृत संकल्प संगीता का अब नया रूप कोरोना योद्धा (Brave Corona Warrior )के तौर पर सामने आया है।

मोबाइल बजते ही अलर्ट
रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड के रतवे गांव की निवाीस संगीता (26) अब मोबाइल की घंटी बजते ही सतर्क हो जाती है। यह घंटी बजती है प्रवासी श्रमिकों के आने पर। वह स्कूटी लेकर निकल पड़ती है कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए। गांव में कोरोना संक्रमण का फैलाव न हो, इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक भी करती है और खुद भी सजग रहती है। पूरी ईमानदारी से अपना कत्र्वय पालन करने वाली संगीता कोरेंटिन सेंटर की पल- पल की रिपोर्ट प्रशासनिक अधिकारियों को देती है।

समाज सेवा है लक्ष्य
संगीता प्रवासी श्रमिकों की निगरानी का काम करती है। रतवे पंचायत में वह कार्यरत है, वहां तकरीबन अभी तक 45 से 50 प्रवासी आ चुके हैं, जिसमें 3 कोरेंटिन सेंटर और शेष होम कोरेंटिन में हैं। इसके अलावा रोजाना बाहर से आने वाले प्रवासियों पर भी विशेष नजर रखती है। महिला कॉलेज रामगढ़ से बीए की पढ़ाई पूरी करने वाली संगीता कहती हैं कि समाज सेवा करना ही लक्ष्य है।

शराबियों की छुड़ाई लत
संगीता के गांव तथा आसपास के इलाकों में पहले महुआ शराब की दर्जनों अवैध भाट्टिआ चलते थी। गांव के बुजुर्गों के साथ युवा भी नशे के गिरफ्त में थे। शराबियों पतियों के कारण महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो रही थीं। पतियों की शराब की लत के खिलाफ पत्नियां मुंह खोलने का साहस नहीं जुटा पा रही थी। ऐसे में इन घरेलू महिलाओं की अगुवाई करके संगीता ने उनके शराब के खिलाफ उठ खड़े होने का साहस दिया। छात्र जीवन से ही गांव की पीडि़त महिलाओं को एकजुट कर शराबबंदी अभियान को लेकर जागरूक करने लगी। समाज द्वारा शराब पीने वालों पर जुर्मालर लगाया जाने लगा। इससे गांव में शराबियों की कमी आयी। विशेष कर युवा वर्ग जो शराब की गिरफ्त में थे, उनमें काफी सुधार आया।

जुझारू छवि बनी पहचान
गौरतलब है कि अपने गांव व आसपास के गांवों में संगीता ने अपनी जुझारू छवि की पहचान बनाई है। शराबबंदी हो या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सभी मामले में संगीता ने हमेशा मोर्चा संभाला है। आसपास के गांव रतवे, बरमसिया, जमुनियाटांड़, आंबाटांड़, बलिया, नारायणपुर, करमा के लोग भी इसके साथ जुड़े हैं। शराबबंदी को लेकर जब- जब संगीता का अभियान चला, तब- तब तकरीबन 500 महिलाओं का कारवां चला है। अब संगीता कोरोना के प्रति लोगों को मास्क, हाथ की सफाई, सोशल डिस्टेंसिंग आदि को लेकर जागरूक करते दिख रही हैं।

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