20 वाहनों के ब्रेकफेल
पिछले एक माह के दौरान घाटी में अभी तक 20 भारी वाहनों का ब्रेकफेल हो चुका है। इसमें 12 लोगों की मौत हो चुकी है। दर्जनों लोग घायल हाुए है। ओडिशा से चाइना बोर्डर जा रहे सेना के भारी मशीनरी वाहन के ब्रेकफेल होने के कारण ही दुर्घटनाग्रस्त हुई। इसमें सेना के एक हवलदार की मौत हो गई। दो जवान घायल हो गए। रांची से रामगढ़ का सफर का समय कम हो गया है लेकिन मौत के आंकड़े बढ़ गये हैं। रांची-पटना फोरलेन सड़क चुटूपालू घाटी इन दिनों मौत की घाटी बन गयी है। हर दिन यहां पर दुर्घटना होती रहती है। इस मार्ग से हर दिन हजारों भारी वाहन तेज रफ्तार से गुजरते हैं। जिसका नतीजा यह है कि घाटी में दुर्घटना का सिलसिला जारी है।
तकनीकी खामी से दुर्घटनाएं
चुटूपालू घाटी को फोरलेन बनाने के बाद से ही तकनीकी खामियों के कारण लगातार दुर्घटनाएं हो रही है। पिछले तीन साल के दौरान एक सौ से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी है। बीते जून से हीं दुर्घटनाओं के आंकड़े पर गौर करें तो भारी वाहनों के ब्रेकफेल होने की घटनाओं में काफी वृद्धि हो रही है। घाटी में हर दूसरे दिन कोई न कोई भारी वाहनों के ब्रेकफेल होने की घटनाएं हो रही है। रांची से रामगढ़ का सफर का समय कम हुआ, लेकिन अधिक संख्या में लोग मौत के नजदीक पहुंचते गये हैं। रांची-पटना फोरलेन सड़क चुटूपालू घाटी में हर महीने औसतन 10 लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है। जानकारों का कहना है कि सड़क निर्माण में तकनीकी गड़बड़ी है। रांची की ओर से आ रहे वाहन की गति घाटी पहुंचते ही अपने आप बढ़ जाती है।
स्पीड़ बढ़ जाती है
वाहन चालकों का कहना है कि रांची की ओर से आने के वक्त घाटी में प्रवेश करते ही गाड़ी 100 किमी रफ्तार पकड़ लेता है। फिर स्पीड ब्रेकर में ब्रेक लगाने के दौरान ब्रेक लगाना बंद हो जाता है। इससे गाड़ी अनियंत्रित हो जाती है। इससे बाद या तो गाड़ी घाटी में पलट जाता है। पथ निर्माण विभाग ने घाटी के पास बोर्ड भी लगाया है। गति सीमा 20 किलोमीटर निर्धारित की गयी है। लेकिन यहां अपने आप वाहनों की गति 50-60 हो जाती है। काफी घुमावदार होने के कारण घाटी में संतुलन नहीं बन पाता है। विपरीत दिशा से आ रहे वाहन भी नजर नहीं आते हैं और दुर्घटना हो जाती है।