रामगढ़ की गलियों में घूमते थे
रामगढ़ की गलियों में आम लोगों की तरह अपने दोस्तों के साथ घूमने वाले धोनी के बारे में कौन जानता था कि वह एक दिन राजीव गांधी खेल रत्न, प्लेयर आफ द इयर, पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे पुरस्कारों से नवाजे जाएंगे। किशोरावस्था के दौरान उन्होंने अनेक मैच यहां की धरती पर खेले और अपनी टीम को विजय दिलाई। रामगढ़ के छावनी मैदान से सयाल से संन्यास तक यहां के क्रिकेट प्रेमियों ने क्रिकेट में माही के बेहतरीन प्रदर्शन का गवाह बना है। सयाल हिल व्यू स्टेडियम में चैंपियंस ट्राफी और भुरकुंडा थाना मैदान में क्रिकेट टूर्नामेंट में धोनी ने अपनी टीम का प्रतिनिधित्व किया। इन दोनों मैदानों में कई शानदार यादगार पारियां खेलीं।
14 साल की उम्र से छक्के
जब धोनी सेल टीम की ओर से पहली बार सयाल चैंपियन ट्राफी में मैच खेलने आए थे। उस समय उनकी उम्र महज 14 साल की थी। 1990 के दशक में लगातार सात वर्षों तक इस टूर्नामेंट में धोनी ने सेल, सीसीएल और खडग़पुर रेलवे टीम से बतौर खिलाड़ी खेले। सीसीएल टीम से मैच खेलते हुए धोनी ने तीन बार चैंपियंस ट्रॉफी में सीसीएल को विजेता भी बनाया। धोनी अपनी टीम में बतौर ऑपनिग बल्लेबाजी करते थे। उन्होंने सयाल हिल व्यू स्टेडियम में तीन बार शतक भी जमाया। 1998, 1999, 2000 तथा 2001 रामगढ़ छावनी फुटबॉल ग्राउंड में महेंद्र सिंह धोनी को दर्शक ने पेड़, बाउंड्री पर चढ़कर देखते थे। हर ओर हर शॉट पर धोनी-धोनी की आवाज आती थी।
पहले अंतरराष्ट्रीय मैच को मिस किया
श्रीलंका में अंडर 19 मिनी र्वल्र्ड कप जो 1999-2000 के बीच हुआ था। उसमें चयन होने के बाद भी नहीं जा पाने की पीड़ा रामगढ़ के छावनी मैदान में सुनाई थी। इसी मैच में युवराज सिंह, रितेंद्र सिंह सोढ़ी, मो. कैफ जैसे खिलाडिय़ों के साथ ही चयन हुआ था। उस समय बिहार हुआ करता था। यहां पर जेपी नारायण क्रिकेट मेमोरियल टूर्नामेंट में बतौर मेहमान पहुंचे थे। यहां आकर पूछे जाने पर बताया कि मैं बिहार का हूं शायद इसीलिए एक दिन बाद पासपोर्ट भेजा है। कैसे जाऊंगा।