एसआईटी ने हज हाउस निर्माण घोटाले की जांच में तेजी लाते हुए इसमें हुई अनियमितता के लिए कार्यदायी संस्था सीएनडीएस के अभियंताओं की भूमिका की जांच शुरू कर दी है। इस तेजी को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
क्या है पूरा मामला दरअसल, गाजियाबाद के आला हजरत हज हाउस और लखनऊ के मौलाना अली मियां मेमोरियल हज हाउस के निर्माण में अत्यधिक पैसों का खर्च हुआ था. बता दें कि लखनऊ हज हाउस का निर्माण साल 2004 से 2006 के बीच हुआ था और उस वक्त मुलायम सरकार थी और सरकार के उसी कार्यकाल में गाजियाबाद में हिंडन नदी के किनारे हज हाउस के लिए जमीन ली गई थी.
साल 2012 में सपा सरकार में जब अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री का पद संभाला तभी गाजियाबाद में ली गई जमीन पर हज हाउस का निर्माण पूरा हुआ. दोनों बार सपा सरकार के कार्यकाल में आजन खान ही अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के पद पर थे. प्रदेशन में योगी सरकार आने के बाद साल 2020 के फरवरी माह में प्रशासन ने गाजियाबाद में बने हज हाउस को एनजीटी के आदेश पर सील कर दिया था।
हज हाउस के निर्माण को लेकर प्रशासन ने आरोप लगाया था कि इसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। जिस वजह से यहां से निकलने वाला गंदा पानी हिंडन नदी को दूषित कर रहा है। बता दें कि अब इन दोनों हज हाउस घोटाले की जांच अंतिम दौर पर हैं जिसके चलते इस मामले में कुछ लोगों से पूछताछ की जानी बाकी है।