बता दें कि सपा सांसद आजम खान के खिलाफ यह मामला 2007 में थाना टांडा में दर्ज हुआ था। तब आजम खान सपा से विधायक थे। आरोप है कि 7 अगस्त 2007 को टांडा में ठेकेदार वाली मस्जिद के मैदान में चुनावी जनसभा के दौरान आजम खान ने अपने भाषण में अनुसूचित जाति समाज के लोगों के लिए आपत्तिजनक जातिसूचक शब्द कहे थे। इस पर अनुसूचित जाति समाज के नेता धीरजशील ने उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने विवेचना के बाद चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी। शनिवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की। इस दौरान सांसद की वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेशी कराई गई। एडीजे/विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट आलोक दूबे ने चार धाराओं में आरोप तय किए।
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साक्षी महाराज ने अखिलेश यादव के बयान को लाल पीला होना बताया, बोले नीला भी मिल जाए तो हमें कोई फर्क नहीं इन चार धाराओं में आरोप तय आजम खान के खिलाफ जो आरोप तय किए गए हैं, उनमें पहला धारा 504 के अंतर्गत है। आरोप है कि उन्होंने जातिसूचक शब्द प्रयोग किए, जिससे लोक शांति भंग हो सकती थी। दूसरा धारा 171 छ के अंतर्गत है, जिसमें आरोप है कि उन्होंने भाषण में निर्वाचन के परिणाम पर प्रभाव डालने के आशय से मिथ्या कथन कहे। तीसरा अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम) का है और चौथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 का है। इसमें सांसद पर आरोप है कि उन्होंने चुनावी जनसभा में अपने भाषण से विभिन्न वर्ग के लोगों के बीच दुश्मनी या नफरत पैदा करने, धर्म जाति और भाषा के आधार पर बांटने का प्रयास किया है। इससे विभिन्न वर्गों के लोगों में शत्रुता को बढ़ावा दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि अब इस मामले में 11 नवंबर को सुनवाई होगी।
मुकदमा दर्ज कराने वाला ही चल बसा गौरतलब है कि सांसद आजम खान करीब डेढ़ साल से सीतापुर जेल में बंद हैं। मुकदमों की सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंस से पेशी की जा रही है। बता दें कि मुकदमा दर्ज करवाने वाला शख्स अब इस दुनिया में नहीं है।