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राजपूतों ने प्रवेश द्वार पर लगाया ‘ठाकुर ग्राम’ का साइन बोर्ड, अन्य जातियों के लोगों को ऐतराज, तनाव यूपी के रामपुर जिले के रहने वाले एम खान उर्फ राजू भाई हर साल दशहरे पुतले बनाकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने नाम मात्र के पुतले ही बनाए हैं। इस बार उन्होंने इतने पुतले भी नहीं बनाए हैं कि परिवार का पेट पाल सकें। राजू कहते हैं कि रावण के पुतले बनाने का काम रामलीला शुरू होने से भी कई महीने पहले ही शुरू हो जाता है, ताकि वह रावण के पुतले के सभी ऑर्डर को समय से पूरा कर सकें। लेकिन, इस बार कोरोना लॉकडाउन के चलते पुतलों की मांग में काफी कम है। वह हर साल जहां 60 से 70 पुतले बनाते थे, वहीं इस साल केवल तीन ही पुतले ही बनाए हैं।
उन्होंने बताया कि इस बार पुतले बनाने के लिए समय भी नहीं मिला है। राजू ने बताया कि इस साल तो रामलीला को लेकर भी असमंजस की स्थिति थी। अब जब रामलीला के लिए अनुमति मिल गई है तो हर जगह रामलीला हुई और लोगों ने कम वक्त में ही पुतले बनाकर देने की मांग की। लेकिन, इतने कम समय में वह दो-तीन पुतले से ज्यादा नहीं बना सकते हैं। राजू बताते हैं कि इस बार केवल तीन रावण के पुतले ही तैयार किए हैं, जिसमें उनका परिवार सहयोग कर रहा है। जबकि पहले इस काम के लिए उन्हें अन्य लोगों को भी इस काम में लगाना पड़ता था। उन्होंने बताया कि एक पुतले को बनाने से लेकर सुखाने और उसमें पटाखे लगाने में काफी वक्त लगता है।
बता दें कि रामपुर के राजू भाई की चार पीढ़ी रावण के पुतले बनाने के कार्य में लगी हैं। राजू भाई ने बताया कि उनके दादा, उनके पिता और अब उनका बेटा रावण के पुतले बनाने का कार्य करते आ रहे हैं। वह खुद उत्तर प्रदेश की रामलीला के लिए रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाते हैं। वहीं राजू भाई का एक भाई उत्तराखंड में होने वाली रामलीलाओं के लिए पुतले तैयार करता है।