दरअसल, वीडियो में किसान कह रहा है कि पिताजी के जमाने से हम हर बार गेहूं की फसल प्राइवेट लोगों को बेचा करते थे। लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा नहीं किया। पिछले दिनों डीएम साहब हमारे खेत में आये और उस वक़्त में गेहूं की थ्रेसिंग करवा रहा था। डीएम साहब ने मुझे एक कागज पर नम्बर लिख कर दिया और कहा कि आप अपना गेहूं जितना भी बेचना चाहते हो गेहूं खरीद के लिए सरकारी क्रय केंद्र खोले गए हैं। आप वहां जाएं, कोई आपको सही दाम न दे पाए या गेहूं खरीद में आनाकानी करे तो आप तत्काल मुझे कॉल करके बताएं। लेकिन किसान के साथ ऐसा नहीं हुआ। जिसको लेकर वह उन्हें फोन कॉल करता। किसान का गेहूं क्रय केंद्र पर तुल गया और उसका पेमेंट भी अकाउंट में आ गया।
जानकारी के अनुसार किसान का नाम बुद्धसेन है। वह शाहबाद तहसील के गाँव किरा का रहने वाला है। उसके घर में कई बच्चे हैं। थोड़ी सी जमीन है और फसल का कुछ हिस्सा बेचकर अगली फसल की तैयारी करता है। बाकी फसल का हिस्सा अपने घर में रखता है। इस बार जब उसने फसल बेची तो उसे 9 हजार का अतिरिक्त फायदा हुआ। किसान के मुताबिक हर छह माह में धान हो या गेहूं सभी फसलों को प्राइवेट लोगों को ही बेचता था, पर उसने इस बार डीएम का कहना माना। जिससे उसे फायदा हुआ। अगर किसानों को फायदा चाहिए तो वह अपनी फसल को सरकारी क्रय केंद्र पर ही बेचें।