दरअसल, सांसद आजम खान के खिलाफ जिन तीन मामलों में अदालत ने आरोप तय किए हैं। वे तीनों लोकसभा चुनाव 2019 के समय के हैं। तब आजम खां सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने जिलेभर में जनसभाएं की थीं। इनमें एक जनसभा 9 अप्रैल 2019 को बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम टांडा हुरमतनगर में की थी, जिसमें अमर्यादित और भड़काऊ भाषण दिया था। तब वीडियो अवलोकन टीम प्रभारी राम नरेश की ओर से बिलासपुर कोतवाली में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
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कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी का विवादित बयान, कहा- जय श्रीराम बोलने वाले राक्षस तो भाजपा ने दिया ये जवाब वहीं, दूसरा मामला खजुरिया थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें सांसद पर 13 अप्रैल 2019 को अहरो गांव में जनसभा के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक बयानबाजी का आरोप है। इसके अलावा तीसरा मुकदमा 23 अप्रैल का है, जिसमें सांसद पर मतदाताओं को पुलिस के खिलाफ भड़काने का आरोप है। जिला शासकीय अधिवक्ता अरुण प्रकाश सक्सेना ने बताया कि एमपी-एलएलए कोर्ट के न्यायाधीश आलोक दुबे ने तीनों मामलों में गुरुवार को सांसद के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। इस दौरान सांसद की वीडियो कांफ्रेंस से पेशी कराई गई। उन्हें आरोप पढ़कर सुनाए गए। इस पर आजम खान ने तीनों मुकदमों में विचारण की मांग की है। अब तीनों मुकदमों में 22 नवंबर को सुनवाई होगी।