राज्य द्वारा केंद्र सरकार को कई बार इस बारे में लिखा जा चुका है। पतली होती राज्य की वित्तीय हालत के दौरान लोहरदगा जिले में दस दिनों तक लगे कफ्र्यू ने स्थिति करेला और नीम चढ़ा कर दी। कफ्र्यू के चलते करीब ४०० करोड़ के नुकसान का अनुमान है। वित्तीय चुनौतियों से जूझते झारखंड के लिए यह राशि काफी महत्वपूर्ण है। कफ्र्यू से सर्वाधिक नुकसान बॉक्साइट ट्रकों के परिवहन बंद होने और बैंकिग से हुआ है। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के समर्थन में निकाली गई रैली में दो गुटों में हिंसक झड़प के दौरान कफ्र्यू लगाया गया था।
केंद्र की कोयला और लोहा कंपनियों पर झारखंड का करीब 50 हजार करोड़ रुपये बकाया है, इसका निर्धारण कॉमन कॉज मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हुआ है। नोटिस देने के बाद भी यह बकाया कम्पनियां नहीं चुका रही हैं, निर्दलीय विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस राशि को वसूलने की सलाह दी है। राय ने कहा कि पिछली सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन अब मुख्यमंत्री सोरेन इसे वसूले।
झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में नयी सरकार गठन होने के बाद राज्य के वित्तीय हालात पर जल्द ही श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा की है। जानकारी के मुताबिक झारखंड के खजाने खाली पड़े है, सरकार ने नयी योजना शुरू करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। ट्वीट कर बताया कि सरयू राय ने यह भी सलाह दी है कि राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य की वित्त व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए फिजुलखर्जी और शोहरत के लिए शुरू की गई योजनाओं की टेक्नो-फाईनांसियल विश्लेषण के बाद तय करना चाहिए कि किसे चलाना है और सुस्त या स्थगित करना है, यह निर्णय वस्तुपरक होना चाहिए।
इधर, सरकार द्वारा नयी योजनाओं के लिए राशि निर्गत करने पर रोक लगा देते से संवेदकों में हड़कंप मचा हुआ है। मौजूदा सरकार ने विगत सरकार की कई योजनाओं की जांच की घोषणा कर दी है। वहीं, बकाये को लेकर संवेदक मारे-मारे फिर रहे हैं। भवन निर्माण विभाग के छोटे संवेदकों ने अपने भुगतान के लिए वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव से गुहार लगायी है। वहीं पथ निर्माण समेत अन्य विभागों में भी गड़बडिय़ों की जांच कराई जा रही है, अभियंता प्रमुख समेत कई पर गाज भी गिरी है।