झारखंड:महागठबंधन को लेकर उहापोह की स्थिति,अब तक नहीं हुई कोई बैठक
Jharkhand Assembly Election 2019: लोकसभा चुनाव परिणाम ( Lok Sabha Election Results ) आने के बाद झामुमो ( JMM ) ने सीट शेयरिंग को लेकर 30 जून तक बैठक करने की बात कही थी। लेकिन 30 जून की डेडलाइन खत्म हो गई है। सीट शेयरिंग की बात तो दूर इसको लेकर एक बैठक तक नहीं हुई,झारखंड विधानसभा चुनाव ( Jharkhand Assembly Election ) की तारीख नजदीक आती जा रही है, वहीं बीजेपी चुनाव ( Jharkhand Election ) को लेकर चौकस है...

(रांची,रवि सिन्हा): आगामी नवंबर-दिसंबर महीने में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव ( Jharkhand Assembly Election ) को लेकर एक ओर जहां भाजपा ( jharkhand BJP ) और एनडीए नेता जोर-शोर से चुनाव तैयारियों में जुटे है, लेकिन विपक्षी दलों के नेता गठबंधन के मसले पर अब तक एक बार औपचारिक रूप से बैठक भी नहीं कर सके है, हालांकि कांग्रेस, झामुमो ( JMM ) व झाविमो ( JVM ) द्वारा अपने-अपने स्तर से पार्टी कार्यक्रमों को चलाया जा रहा है।
लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद झामुमो ने सीट शेयरिंग को लेकर 30 जून तक बैठक करने की बात कही थी। लेकिन 30 जून की डेडलाइन खत्म हो गई है। सीट शेयरिंग की बात तो दूर इसको लेकर एक बैठक तक नहीं हुई। आश्चर्य की बात यह भी है कि महागठबंधन में लोकसभा चुनाव के परिणामों की समीक्षा तक नहीं हो पाई है।
झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष ने पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक के बाद 30 जून तक बैठक कर विधानसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तैयार कर लेने की बात कही थी, लेकिन अब तक गठबंधन दलों के नेताओं की औपचारिक बैठक तक की बात को दूर है, इन दलों के नेता अब तक यह भी तय नहीं कर पाये कि गठबंधन बनाकर चुनाव में उतरना है या नहीं। झामुमो के अंदर भी अकेले चुनाव लड़ने की उठ रही है, वहीं लोकसभा चुनाव में हार के बाद झाविमो और कांग्रेस तथा राजद नेता भी पस्त नजर आ रहे है, इन दलों का संगठनात्मक ढांचा पूरी तरह से बिखरा पहले से ही था और अब कार्यकर्त्ताओं का भी मनोबल टूट रहा है।
इधर, झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय का कहना है कि डेडलाइन भले ही खत्म हो गई हो, लेकिन अभी विधानसभा चुनाव के लिए काफी वक्त है., हेमंत सोरेन इस वक्त संथाल दौरे पर हैं। वहां से लौटने के बाद एक बैठक कर सीट शेयरिंग से लेकर हार की समीक्षा और आगे की रणनीति भी तय कर ली जाएगी, जल्द इस पर बैठक होगी। सीट शेयरिंग में जीत का फैक्टर देखा जाएगा।बैठक में आगे की रणनीति भी तय कर ली जाएगी. इस बार परिस्थिति 2014 से अलग है।
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