पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक में लोकसभा चुनाव के साथ ही झारखंड विधानसभा का चुनाव कराये जाने पर भी चर्चा हुई। बताया गया है कि मुख्यमंत्री सोमवार को एयरपोर्ट से सीधे नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय गये। करीब 50 मिनट तक पार्टी मुख्यालय में अमित शाह और अन्य नेताओं के साथ चर्चा करने के बाद मुख्यमंत्री वापस लौट आये।
बताया गया है कि इस बैठक में लोकसभा चुनाव 2019 की रणनीति पर ही मुख्य रूप से विचार-विमर्श किया गया। हालांकि रांची में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने इस संबंध में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि दोनों चुनाव एक साथ नहीं होंगे, लोकसभा और विधानसभा चुनाव अपने निर्धारित समय पर होंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं,आलाकमान का जो फैसला होगा, वह सभी को मान्य होगा।
लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में अप्रैल-मई में होने की संभावना है, वहीं विधानसभा चुनाव वर्ष 2019 के नवंबर-दिसंबर में कराया जाना है। मुख्यमंत्री को पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में हो रहे विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से स्टारक प्रचारक बनाया गया है और वे 1 नवंबर से छत्तीसगढ़ में कई चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराये जाने से भाजपा को कई राजनीतिक फायदे मिल सकते है। लोकसभा चुनाव एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि पर लड़े जाने वाले चुनाव से विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को फायदा मिल सकता है, वहीं लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव कराये जाने पर पार्टी को राज्य में सरकार रहने के कारण एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर का सामना करना पड़ सकता है।
दूसरी तरफ कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग कराने से भाजपा को यह फायदा हो सकता है कि मुख्यमंत्री और उनकी पूरी टीम राज्य की सभी 14 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाने के लक्ष्य के साथ मैदान में उतर सकती है, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र में भाजपा की पुनर्वापसी का फायदा विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को मिल सकेगा। फिलहाल इस मुद्दे पर भाजपा के बड़े नेता कुछ भी स्पष्ट कहने से कतरा है, लेकिन पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस मुद्दे पर गहनता से विचार-विमर्श कर रहा है।