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mansa devi temple: इस गांव में सांपों को मारना वर्जित है

locationरांचीPublished: Aug 17, 2019 03:53:39 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

mansa devi temple: मेराल गांव के ग्रामीणों की विषैले सांपों से दोस्ती ( friendship of posinious snakes ) देखी जा सकती है। सांपों की नृत्य कला ( dancing snakes ) देखने लोग पहुंचते है। इस गांव में सांपों को मारना वर्जित ( prohibited to killing ) है।

snakes killing is prohibited

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mansa devi temple: रांची ( रवि सिन्हा ), झारखंड में खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड के मेराल गांव के लोग वर्षा से जीव जंतुओं के संरक्षण की एक मिसाल पेश कर रहे है। मेराल गांव के ग्रामीणों की विषैले सांपों से दोस्ती ( friendship of posinious snakes ) की झलक देखी जा सकती है और सांपों की नृत्य कला ( dancing snakes ) देखने भी दूर-दूर से लोग पहुंचते है। इस गांव में सांपों को मारना वर्जित ( prohibited to killing ) है। ग्रामीण धान रोपनी ( rice cultivation ) के समय सांपों को बगैर हानि पहुंचाये पकड़ते है और पूजा-अर्चना के बाद मं़त्रोच्चार के साथ इन सांपों को जंगल में छोड़ देते हैं।
पिटारों में रख रहे हैं
मेराल गांव में मांझी और मुंडा समुदाय के 70 परिवार रहते हैं। बारिश के इस मौसम में विषैले सांपों को पकड़ कर बांस के पिटारे में सुरक्षित रखा जा रहा है और गांव में मनसा पूजा ( mansa puja ) की तैयारी चरम पर है। मनसा पूजा पूर्वजों से चली आ रही मांझी और मुण्डा समाज की पारंपरिक पूजा है। यहां आस्था इस कदर है कि इन्हें मारा नहीं जाता। सांपों द्वारा डसने की भी जानकारी नहीं है। जीव-जन्तुओं का संरक्षण मांझी और मुण्डाओं की जीवनशैली बन गयी है।
मनसा पूजा के बाद छोड़ेंगे
इस पूजा में मनसा मां की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पूजा के दौरान पूरे गांव के भक्त दो दिनों तक उपवास करते हैं। मनसा पूजा की तैयारी को लेकर विषधर को एकत्रित करने का कार्य आरंभ कर दिया गया है, गांव के आस-पास विचरण करने वाले सभी सांपों को भक्त आसानी से पकड़ लेते हैं। मनसा पूजा के दूसरे दिन आयोजित मनसा मेले में पकड़े गए सभी सांपों को बांस के पिटारे से निकाला जाता है। पिटारे से सांपों को जब निकाला जाता है तो चारों ओर बड़ी संख्या में ग्रामीण जुट जाते हैं और सापों के आकर्षक नृत्य सबका मन मोह लेती है।
सर्पनृत्य देखने दूर से आते हैं लोग
सांपों की अलग अलग नृत्य कला देखने के लिए लोग दूर-दराज इलाके से पहुंचते हैं। मेले के बाद पकड़े गए सभी विषैले सांपों को पास के ही जंगलों में मंत्रोचार के बाद छोड़ दिया जाता है। कई दिनों तक आसपास विचरण करते सांपों से लोगों का सामना भी होता है किन्तु किसी के काटे जाने की जानकारी नहीं है। मनसा मेले की समाप्ति के बाद मनसा मां की प्रतिमा का विधि विधान पूर्वक तालाब में विसर्जन किया जाता है।
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