रांची

कृषि उपज में आत्मनिर्भरता मिली, किसानों की आय बढ़ोत्तरी पर पहली बार ध्यान दिया गया-राधा मोहन सिंह

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने इस मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना, कृषि विकास को गति देने के लिए उनकी दूरगामी सोच का परिणाम है…

रांचीJan 28, 2019 / 02:54 pm

Prateek

radha mohan singh

(रांची): केंद्रीय कृषि मंत्री मंत्री राधा मोहन सिंह और केंद्रीय नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने करमा में 200 करोड़ की लागत से 1000 एकड़ में बन रहे भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के प्रशासनिक और शैक्षणिक भवन का रविवार को उदघाटन किया। इस मौके पर वहां बनने वाले अतिथि गृह का भी शिलान्यास किया गया।


केन्द्रीय कृषि मंत्री ने इस मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना, कृषि विकास को गति देने के लिए उनकी दूरगामी सोच का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने सिर्फ कृषि उपज में आत्मनिर्भरता पर ध्यान दिया, लेकिन पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों की आय बढ़ोत्तरी पर ध्यान दिया।


उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा झारखण्ड में जून, 2015 में रखी गई संस्थान की आधारशिला पर आज एक भव्यन प्रशासनिक भवन बनकर तैयार हो गया है, जो इसके साकार रूप को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि फसल विज्ञान, प्राकृतिक संसाधन प्रबंध और पशु विज्ञान के भवन भी जल्दी ही बनकर तैयार हो जायेंगे। अगले चरण में शॉपिंग कॉम्पनलेक्स , सभागार, स्विमिंग पूल, टेनिस कोर्ट, जिम्नेजियम, आउटडोर स्टेकडियम और पॉवर हाउस का कार्य भी प्रारम्भ किया जाएगा। पूरी तरह से तैयार होने पर यह संस्थारन अपने आप में एक विशाल एवं सुसज्जित संस्थान होगा जो कि झारखण्ड राज्य का गौरव होगा।

 

कृषि मंत्री ने बताया कि इस संस्थान को स्थापित करने के उद्देश्यों में देश के पूर्वी भाग में कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं कृषि एवं सम्बकद्ध क्षेत्रों में आउटरिच कार्यक्रम आदि में उच्च मानकों को बढ़ावा देना शामिल है। उन्होंने खेती एवं किसानी के विकास में आईसीएआर के योगदान की सराहना करते हुए बताया कि परिषद द्वारा छोटे व सीमांत किसानों और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए देश के सभी 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों को शामिल करते हुए कुल 45 एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल तैयार किए गए हैं। सरकार की पहल ‘’सॉयल हैल्थ कार्ड’’ को सहयोग करने के लिए मिट्टी की जांच के लिए एक मिनी लैब ‘’मृदा परीक्षक’’ का विकास किया गया।

 

सम्बोधन के अंत में केन्द्रीय कृषि मंत्री ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि दूसरी हरित क्रान्ति लाने में पूर्वी व पूर्वोत्तरर राज्यों की एक बड़ी भूमिका रहने वाली है और निश्चित तौर पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, झारखण्ड का इसमें उल्लेखनीय योगदान रहेगा।

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