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राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू ने दिए निर्देश, झारखंड में दीक्षांत समारोह में केवल पारंपरिक भारतीय परिधान का हो इस्तेमाल

locationरांचीPublished: Aug 27, 2018 06:59:44 pm

Submitted by:

Shailesh pandey

झारखंड की राज्यपाल और कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने निर्देशित किया कि सभी विश्वविद्यालयों द्वारा अगामी दीक्षान्त समारोहों में पूर्व से प्रचलित परिधान के स्थान पर अब पारंपरिक भारतीय परिधान का इस्तेमाल किया जाए

droupadi murmu

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रवि सिन्‍हा की रिपोर्ट
रांची। झारखंड की राज्यपाल और कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने निर्देश दिया कि झारखण्ड राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में भविष्‍य में आयोजित होने वाले दीक्षान्त समारोह में केवल पारम्परिक भारतीय परिधान का ही इस्तेमाल किया जाए। उन्‍होंने निर्देशित किया कि सभी विश्वविद्यालयों द्वारा अगामी दीक्षान्त समारोहों में पूर्व से प्रचलित परिधान के स्थान पर अब पारंपरिक भारतीय परिधान का इस्तेमाल किया जाए। इस आशय की जानकारी राज्यपाल के प्रधान सचिव डा0 नितिन कुलकर्णी ने दी। राज्‍यपाल एवं कुलाधिपति के इस आदेश से झारखंड के विश्वविद्यालयों में दीक्षान्त समारोह का माहौल एकदम बदला नजर आने के आसार हैं।

 

शिक्षक प्रगतिशील समाज के प्रतिनिधि


इधर,राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को रांची में अरविंद सोसाइटी द्वारा संचालित ‘‘शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार’’ कार्यक्रम के तहत राज्य के 31 सरकारी शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण तकनीक के क्षेत्र में प्रोत्साहन के लिए सम्मानित किया। इस मौके पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि शिक्षक किसी भी प्रगतिशील समाज के प्रतिनिधि हैं और उन्हें राज्य के हर कोने में शिक्षा का प्रकाश फैलाने का कार्य करना होगा। शिक्षा का प्रकाश फैलेगा तो तरक्‍की भी होगी।

 

शिक्षा में सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन बाधक न बने


राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सभी बच्चों तक गुणवत्तायुक्त शिक्षा आसानी से सुगम होनी चाहिए। शिक्षा हासिल करने में सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन किसी भी हाल में बाधक नहीं बनना चाहिए। शिक्षक अपने प्रयासों से सभी बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का आधार केवल शैक्षिक परिणाम या अंक प्राप्त करना नहीं है। इसका संबंध विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास से भी है। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं। वह बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करते हैं, जिससे बच्चे आगे चलकर जिम्मेदार नागरिक की निभाते हैं। इस वजह से शिक्षकों को अपनी भूमिका गंभीरता से निभानी चाहिए।

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