नक्सलियों के बंद का कोई खास असर नहीं दिखता
ऑपरेशन समाधान के खिलाफ नक्सली संगठनों द्वारा 3 अगस्त को बिहार-झारखंड बंद का आह्नान किया गया है।
हालांकि हाल के दिनों में नक्सलियों द्वारा कई बार झारखंड बंद का आह्नान किया गया है, लेकिन सड़क परिवहन छोड़ कर नक्सलियों के बंद का कोई खास असर नहीं दिखता है। इससे पहले नक्सलियों द्वारा प्रतिशोध सप्ताह भी मनाया गया, जिसके कारण रांची, खूंटी, चाईबासा, बोकारो और गिरिडीह के विभिन्न नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पोस्टर चिपका कर लोगों में भय और दहशत पैदा करने की कोशिश की।
धरपकड़ के लिए खिलाफ सघन छापामारी अभियान
दूसरी तरफ माओवादियों के बंद की घोषणा के मद्देनजर पुलिस नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादियों के धरपकड़ के लिए खिलाफ सघन छापामारी अभियान चला रही है। खूंटी जिले की पुलिस ने भी माओवादियों के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। पुलिस का दावा है कि नक्सलियों के किसी भी तरह के नापाक मंसूबे को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
जिले के उग्रवाद प्रभावित खूंटी, अड़की, मुरहू और सीमावर्ती इलाकों के सीआरपीएफ जवानों की तैनाती की गई है, जबकि मुख्य मार्ग से लेकर ग्रामीण इलाकों के सड़कों और जंगल में झारखंड जागुआर, जैप, कोबरा और जिला पुलिस के जवान अभियान चला रहे है।
छोटी -छोटी 200 टुकडिओं का गठन
पुलिस ने नक्सल प्रभावित इलाकों में अपराधिक घटनाओं पर अंकुश के लिए सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पुलिस पिकेट बना रही है। माओवादी गतिविधियों पर सख्ती के लिए सुुुुरक्षा बलों की छोटी -छोटी 200 टुकडिओं का गठन किया गया है। इस संख्या को बढ़ाकर 500 करने की योजना है। इसका मकसद माओवादिओं की गतिविधियों को पूरी तरह से ख़त्म करना है।