अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि
दिनेश उरांव ने कहा कि सदन का एक-एक सदस्य, एक पूरी की पूरी सभा है,क्योंकि प्रत्येक सदस्य को सभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का नैसर्गिक अधिकार है। वे किसी भी सदस्य के अधिकारों का हनन नहीं होने देना चाहते है। प्रत्येक सदस्य अपने कत्र्तवयों का पालन करें, तो दूसरे सदस्य के अधिकार की रक्षा स्वत: हो जाएगी। सभा के लिए निर्धारित कार्य का निष्पादन कैसे करें, यह सभी को सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभा के बाहर कितनी भी सर्वदलीय बैठक, सचेतक की बैठक या दलीय बैठकें कर ली जाएं, लेकिन इसका सार्थक प्रभाव सभा में नहीं दिखता है, तो इसकी सार्थकता सिद्ध नहीं होती है। सभा के लिए निर्धारित कार्य वाद-विवाद और सुझाव के साथ निष्पादित होने चाहिए। सभा में व्यवस्था का माहौल बने, इसके लिए सदन नेता, नेता प्रतिपक्ष, दलीय नेता और सचेतकों को विशेष प्रयास करने होंगे, अपने सदस्यों को अनुशासित करना सभी दलीय नेताओं और सचेतकों की ही जिम्मेवारी है।
विकास में बाधक तत्वों को राहत
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने यह अनुभव किया है कि सभा सुचारु रुप से नहीं चलने से उन तत्वों को राहत मिलती है, जो राज्य के विकास में बाधक बनते हैं और योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में कोताही बरत रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों के माध्यम से कार्यपालिका को विधायिका के प्रति जवाबदेह बनाने में हम सफल नहीं हो पाए है। सदस्यगण अक्सर कहते है कि विधानसभा की समिति का महत्व कम हुआ है, सभा में पूछे जाने वाले प्रश्नों, ध्यानाकर्षण, गैर सरकारी संकल्प और सरकारी आवश्यकता आश्वासन आदि जनहित के सवालों का महत्व कम हुआ है, तो क्या इसके लिए आंशिक तौर पर हमलोग स्वयं उत्तरदायी नहीं है। उन्होंने कहा कि कार्य संचालन के नियमों और संसदीय व्यवस्था के तहत सभा में विषय आए, तो चर्चा होगी।
सेल्फ गोल या वॉक ऑवर
सरकार का उत्तर होगा, तभी तो कार्यों की योजनाओं की समीक्षा होगी और गैर जवाबदेह पदाधिकारी और विकास में बाधक बनने वाले तत्वों पर शिकंजा कसेगा और कार्यपालिका को जवाबदेह बना सकेंगे। दिनेश उरांव ने कहा कि हम या तो सेल्फ गोल कर रहे है या फिर हम एक-दूसरे को वॉक ऑवर दे रहे हैं, लोकतंत्र के लिए यह स्थिति सुखद नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सत्र में प्रश्न, ध्यानाकर्षण, शून्यकाल व गैर सरकारी संकल्पों की सूचनाओं के अलावा चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम अनुपूरक बजट पर सार्थक चर्चा हो सकेगी। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि इस बरसात में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच विगत कुछ सत्रों से बनी दूरी मिटेगी, मतभेद मिटेंगे।