राज्यपाल से मुलाकात के दौरान तीनों ने झारखंड में बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाएं और आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण समेत अन्य मुद्दों पर बात की। राजभवन से बाहर निकलने के बाद स्वामी अग्निवेश ने खुद के उपर हो रहे हमलों को प्रायोजित बताते हुए इसके लिए भाजपा और सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रकरण में एक भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाना साफ दर्शाता है कि इसके पीछे सरकार का पूरा हाथ है।
आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं, साथ ही वो बड़े गर्व के साथ कह रहे हैं कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और आतंक मचा रहे हैं। मेधा पाटकर ने राज्य सरकार पर आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासियों के संसाधन छीने जा रहे हैं और जो उसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को टारगेट किया जा रहा है। दूसरी तरफ हमलावरों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं होता।
प्रशांत भूषण ने कहा कि देश में जिस तरह के माहौल बन रहे हैं वे अच्छे संकेत नहीं हैं। तीनों नेता लोकतंत्र बचाओ मंच के बैनर तले शनिवार को निकलने वाली पदयात्रा और आम सभा में शामिल होने रांची आए थे। पदयात्रा जिला स्कूल से राजभवन तक निकाली गई। मंच की ओर से सामाजिक कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह के मुकदमे वापस लेने, अल्पसंख्यकों पर जुल्म बंद करने, लिंचिंग के दोषियों को जल्द सजा दिलाने, हिंसा प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने, दंगाइयों को सम्मानित करना बंद करने और मॉब लिंचिंग से संबंधित मामलों में सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन लागू करने और स्वामी अग्निवेश के हमलावरों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की गई है।