scriptजिनके जल्लादी हाथों में बंदूकें आग उगलती थी, वे अब यह करेंगे | Those in whose hands the guns used to spew fire, they will do it now | Patrika News

जिनके जल्लादी हाथों में बंदूकें आग उगलती थी, वे अब यह करेंगे

locationरांचीPublished: Jan 24, 2020 09:10:19 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

जिनके हाथ दर्जनों लोगों के खून से रंगे हो ( Bloodede hands ) और बंदूकों का धुआं कभी खत्म नहीं होता हो, ऐसे जल्लादी हाथ अब या तो खेतों में हल चलाते नजर आएंगे या फिर दस्तकारी जैसा कोई कार्य करते। यह दास्तां उन दुर्दान्त नक्सलियों ( Name of Terror in Naxal area ) की है, जिनकी धमकियों से पूरा इलाका थर्राता था। तीन दुर्दांत नक्सलियों ने हथियारों सहित आत्मसमर्पण कर दिया।

जिनके जल्लादी हाथों में बंदूकें आग उगलती थी, वे अब यह करेंगे

जिनके जल्लादी हाथों में बंदूकें आग उगलती थी, वे अब यह करेंगे

दुमका (रवि सिन्हा): जिनके हाथ दर्जनों लोगों के खून से रंगे हो ( Bloodede hands ) और बंदूकों का धुआं कभी खत्म नहीं होता हो, ऐसे जल्लादी हाथ अब या तो खेतों में हल चलाते नजर आएंगे या फिर दस्तकारी जैसा कोई कार्य करते। यह दास्तां उन दुर्दान्त नक्सलियों ( Name of Terror in Naxal area ) की है, जिनकी धमकियों से पूरा इलाका थर्राता था। पुलिस भी आसानी से उन पर हाथ डालने का साहस नहीं जुटा पाती थी। सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नक्सल प्रभावित इलाकों में लाखों रुपए के ईनामी और आतंक के पर्याय बने तीन दुर्दांत नक्सलियों ने हथियारों सहित आत्मसमर्पण कर दिया। इन नक्सलियों के जिंदा या मुर्दा होने पर रखी गई इनामी राशि अब इन्हें ही चेक के माध्यम से मिलेगी। इस तरह नक्सलियों से हिंसा का रास्ता छुड़वा कर देश की मुख्यधारा में शामिल कराने के झारखंड सरकार के प्रयास रंग ला रहे हैं।

दर्जनों वारदातों में रहे शाामिल
झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत दुमका पुलिस के प्रयास नई दिशा के तहत दुमका के तीन हार्डकोर नक्सली राजेन्द्र राय ,छोटा श्यामलाल देहरी और रिमिल दा ने दुमका पुलिस के सामने आत्मसर्पण किया है। श्याम देहरी एक लाख का इनामी रहा है। सात नक्सली वारदातों में उसकी संलिप्तता रही है। सब जोनल कमांडर गहना राय उर्फ राजेन्द्र राय पांच लाख का ईनाम था। वह छह बड़ी नक्सली वारदातों में शामिल रहा है। रिमिल दा उर्फ रिमिल हेम्ब्रम आठ नक्सली वारदात में शामिल रहा है। तीनों नक्सलियों के आत्मसमर्पण के दौरान एसएसबी के आईजी संजय कुमार, संथाल परगना के डीआईजी राजकुमार लकड़ा, दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी, पुलिस अधीक्षक वाई एस रमेश सहित एसएसबी के अधिकारी और पुलिस अधिकारी मौजूद थे।

5 लाख का इनामी था राजेन्द्र
झिलमिल काठीकुंड प्रखंड के आसनबनी का रहने वाले राजेन्द्र राय पर पांच लाख रुपए का इनाम था। 2015 पिता की मौत के बाद वह दस्ते के सम्पर्क में आया और हत्या, आगजनी, भयादोहन आदि में लगा रहा। उसने राइफल के साथ आत्मसमर्पण किया है। इसी तरह माँ-बाप को खोने के बाद सब जोनल सदस्य में शामिल हुआ रिमिल शिकारीपाड़ा के सितासाल जोलडंगाल का निवासी है। वह दस्ते में भी राइफल लेकर चलता था, उसी राइफल के साथ उसने सरेंडर किया है। उसने कहा कि वह झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति से प्रभावित है। काठीकुंड के सरूवापानी पहाडिय़ा टोला का श्यामलाल देहरी उर्फ संतु संगठन में दस्ता सदस्य रहा है। उस एक लाख रुपए का इनाम घोषित था। मई 2013 में वह नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। उसने एक पिस्टल सहित आत्मसमर्पण किया है।

यह है आत्मसमर्पण नीति
झारखंड सरकार की ओर से नक्सलियों को मुख्य धारा में शामिल कराने के लिए आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत नक्सलियों तथा उनके परिवार के पुनवाज़्स की व्यवस्था की गयी है। इनामी नक्सलियों को सरेंडर करने पर उनके ऊपर रखी गयी राशि को चेक के माध्यम से उनके परिजनों को सौंप दी जाती है, इसके अलावा सरेंडर करने वाले नक्सलियों के बच्चे की पढ़ाई, पालन-पोषण के लिए सहायता राशि के अलावा शहर के आसपास जमीन भी उपलब्ध करायी जाती है,ताकि गांव में रहने पर संगठन के पुराने साथियों से उन्हें कोई खतरा उत्पन्न न हो। पुनर्वास नीति के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए प्रशिक्षण की भी सुविधा उपलब्ध करायी जाती है, इसके अलावा कानूनी सहायता भी उपलब्ध करायी जाती है, ताकि उन्हें अदालत में उनके मामले का त्वरित निष्पादन हो सके। बड़े हार्डकोर नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने पर उनके रहने के लिए ओपन जेल की भी व्यवस्था की गयी है, जहां से अपने परिवार के साथ रह सकते हैं।

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