रांची

बिरहोर आदिम जनजाति की घटती आबादी पर टीआरआई करेगा शोध

इस पुस्तकालय में 32 जनजातियों से संबंधित 25 हजार से अधिक किताबें हैं। इतना ही नहीं यहां अब यहां बच्चों के लिए भी किताबें मौजूद हैं…

रांचीJun 26, 2018 / 05:02 pm

Prateek

TRI JHARKHAND

रवि सिन्हा की रिपोर्ट…

(रांची): राजधानी रांची स्थित डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान (टीआरआई) में जनजातीय समुदाय से जुड़े बिंदुओं पर कई शोध हो चुके हैं। केंद्र सरकार ने हाल में यहां बिरहोर जैसी आदिम जनजाति की घटती आबादी पर शोध का प्रस्ताव दिया है।

 

कई तरह से फायदेमंद है यह शोध

टीआरआई के निदेशक रणेन्द्र ने बताया कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में कुपोषण भी एक बड़ी समस्या है खासकर भोजन में पोषक तत्वों के कमी की। ग्रामीण परिप्रेक्ष्य में उसी इलाके में किस तरह की पैदावार से इससे निपटा जाए इस पर भी यहां शोध का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा इस ट्राइबल सब प्लान के तहत हुए खर्चे का मूल्याकंन भी किया जाएगा। इससे यह पता चलेगा कि बजट में हुए प्रावधान की राशि इन जनजातीय समुदाय तक पहुंची है या नहीं। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस तरह के समसामयिक बिंदुओं पर शोध होने से निश्चित तौर पर जनजातीय समुदाय को फायदा होगा और वास्तविक स्थिति की जानकारी भी मिल सकेगी।

पुस्तकालय में हैं 25 हजार से ज्यादा किताबें

 

Jharkhand ” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/06/26/ranchi2__3012695-m.png”>

 

जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के निदेशक रणेंद्र ने बताया कि संस्थान के पुस्तकालय की गिनती देश के बेहतरीन पुस्तकालयों में से होती है। उन्होंने बताया कि करीब साढ़े तीन हजार वर्गफूट में फैले इस पुस्तकालय में जनजातीय समुदाय पर शोध के लिए काफी किताबों का संग्रह है। रणेंद्र ने बताया कि इस पुस्तकालय में 32 जनजातियों से संबंधित 25 हजार से अधिक किताबें हैं। इतना ही नहीं यहां अब यहां बच्चों के लिए भी किताबें मौजूद हैं। 1953 में जनजातीय समुदाय पर शोध के लिए रांची के मोहराबादी में ट्राइबल रिसर्ज इंस्टीट्यूट की स्थापना एकीकृत बिहार में की गई थी। बाद में झारखंड बनने के बाद इसका नाम डा रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान कर दिया गया। इस संस्थान को जिस तरह कई बड़े नामों का सानिध्य मिला उसी तरह यहां की पुस्तकालय भी काफी समृद्ध है।

Home / Ranchi / बिरहोर आदिम जनजाति की घटती आबादी पर टीआरआई करेगा शोध

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.