30 प्रजाति के पक्षियों से है याराना
कौआ, कोयल, मोर, ग्रेटर कॉकल, ग्रे पैटरिज, बर्वक फेंकोविन, रेडिस सेव, कबूतर, पड़की, तोता, जंगली मुर्गी, मालाबार ड्रोगन सहित करीब तीस प्रजाति के पक्षियों से पन्नालाल की खूब यारी जमती है। पन्नालाल बर्डमैन पिछले दस सालों से पक्षी संरक्षण पर काम कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से वह रांची के अनगड़ा स्थित सिकिदिरी घाटी जंगल, हुंडरू व बनादाग जंगल में पक्षी पर रिसर्च कर रहे हैं। पन्नालाल झारखंड में पाई जाने वाली करीब तीस किस्म के पक्षियों से उसी की भाषा में बातचीत करते हैं। उनके संरक्षण का प्रयास करते हैं। नजर रखते हैं कि कोई उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाए।
पक्षियों से बात कर जानते हैं उनका हाल
पक्षियों के साथ रहकर पन्ना यह तक जान लेते हैं कि उसका मूड क्या है, वह कहना क्या चाहता है। वह अपने साथ एक बैग लेकर चलते हैं। इसमें पक्षी का दाना और इनके इलाज की कुछ दवाइयां होती हैं। कभी-कभी तो पन्नालाल पक्षी से बातचीत करते हुए उसे पकड़ लेते हैं और कुछ अध्ययन करने के बाद उसे फिर से छोड़ देते हैं। पेशे से किसान पन्ना अपनी आय का एक हिस्सा प्रतिमाह पक्षी संरक्षण के लिए दे रहे हैं।
हमेशा हरे रंग की ड्रेस पहनते है पन्नालाल
करीब तीस साल के पन्नालाल महतो हमेशा हरे रंग की ड्रेस पहनते हैं। यहां तक की जूता व टोपी भी हरे रंग की होती है। ऐसा इसलिए ताकि जरूरत पडऩे पर जंगलों में घंटों एक ही जगह पर रहा जा सके। पन्नालाल बताते हैं, मैं लगातार सीखने का काम कर हूं। ज्यादा से ज्यादा पक्षियों की जिंदगी के बारे में जानना चाहता हूं।