सरकार ने सुनी नहीं अर्जी, तो श्रमदान से बनाई 2.5 किलोमीटर की सड़क – प्रत्येक परिवार ने किया श्रमदान, जीरो बजट से बना रास्ता
– ग्रामीणों ने जनसहयोग से 2.5 किलोमीटर का पत्थर से रास्ता बनाया – अब बारिश में नहीं होगा कीचड
रतलाम। रतलाम जिले के करिया गांव के लोगों ने श्रमदान की मिसाल पेश की है। जब सरकार ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने जनसहयोग से करीब 2.5 किलोमीटर के रास्ते को 15 दिन में ही आवागमन के लिए तैयार कर लिया। बारिश में ग्राम पहाडीबांग्ला से करिया ग्राम कीचड हो जाता था। इस दौरान स्कूली बच्चों का आवागमन प्रभावित हो रहा था। ग्रामीणों ने श्रमदान कर पत्थर की 2.5 किलोमीटर की सड़क तैयार की है। दरअसल खेतों की जमीन होने से यहां रास्ता नहीं बन पा रहा था। ग्रामीणों के सामूहिक निर्णय के बाद खेत मालिक भी राजी हो गए। जीरो बजट पर इस रोड़ को तैयार किया गया है। ग्रामीण प्रभुलाल खराड़ी ने बताया पहले पहाडीबांग्ला से गांव करिया जाना होता था तो कीचड़ में होकर निकलना पड़ता था। लेकिन अब समाधान हो गया है। गांव में करीब 200 परिवार हैं, सभी ने लगातार 15 दिन तक श्रमदान में हिस्सा लिया। सड़क बनाने के लिए पत्थर भी ग्रामीण आसपास से ढूंढकर ले आए। उल्लेखनीय है कि ग्रामीणों ने इससे पहले शासन के पास समस्या समाधान की गुहार लेकिन शासन के भी हाथ बंधे हुए थे। क्योंकि जहां से ग्रामीण सडक बनाने की मांग कर रहे हैं, वह निजी खातेदारों की भूमि है, निजी खेत में से सडक कैसे बनाएं? हालांकि बाद में निजी खातेदार श्रमदान के तहत बनी सडक के लिए सहमत हो गए।
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