scriptरतलाम में 102 महिलाओं ने शुरू किया मुर्गी पालन, पांच लाख की मुर्गी बेचकर एक लाख कमाया मुनाफा | 102 women started poultry farming in Ratlam, earned one lakh profit by | Patrika News

रतलाम में 102 महिलाओं ने शुरू किया मुर्गी पालन, पांच लाख की मुर्गी बेचकर एक लाख कमाया मुनाफा

locationरतलामPublished: Nov 12, 2021 12:03:33 pm

Submitted by:

Sourabh Pathak

– पोल्ट्री फार्म संचालित करने वाली आदिवासी महिला ललिताबाई ने मुर्गियां बेचकर कमाया एक लाख रुपए मुनाफा

रतलाम में 102 महिलाओं ने शुरू किया मुर्गी पालन, पांच लाख की मुर्गी बेचकर एक लाख कमाया मुनाफा

रतलाम में 102 महिलाओं ने शुरू किया मुर्गी पालन, पांच लाख की मुर्गी बेचकर एक लाख कमाया मुनाफा


रतलाम। जिले के आदिवासी अंचल की महिलाएं अब अपने दम पर सशक्त होने लगी है। आदिवासी महिलाओं के आर्थिक उत्थान के लिए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जोडऩे का काम लगातार चल रहा है। इनमें मुर्गीपालन भी एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की प्रेरणा से जिले में 102 आदिवासी महिलाओं ने मुर्गीपालन शुरू किया है और इस समूह से जुड़कर महिलाएं आर्थिक समृद्धि हासिल कर रही है।
जिले के बाजना विकासखंड के आदिवासी बाहुल्य ग्राम हेवड़ा दामाखुर्द की रहने वाली आदिवासी महिला ललिताबाई दामा इसका ताजा हालिया उदाहरण है। वह महिला सशक्तिकरण नीतियों के परिणाम स्वरूप आर्थिक रूप से तरक्की की मिसाल बनी है। अपने घर में पोल्ट्री फॉर्म संचालित करने वाली ललिताबाई ने बीते दिनों 5 लाख रुपए की मुर्गियां बेची और 1 लाख रुपए का मुनाफा कमाया।
खराब थी आर्थिक स्थिति
ललिताबाई दो वर्ष पूर्व अंबे माता आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी थी। इसके पूर्व उनकी आर्थिक स्थिति खराब थी, रोजगार का कोई विशेष साधन भी नहीं था। खेती सिंचित नहीं होने के कारण फायदा नहीं हो रहा था लेकिन जब समूह से जुड़ी तो कुछ बेहतर करने की ठान ली। समूह को व्यवस्थित रूप से चलाया। तीन माह बाद उन्हे रिवाल्विंग फंड की राशि मिली।
और शुरू किया मुर्गीपालन
मुर्गीपालन देखकर ललिताबाई ने भी मुर्गीपालन व्यवसाय अपनाने का सोचा और कार्य शुरू कर दिया। उनको मनरेगा योजना से मुर्गी शेड बनाने के लिए 51 हजार रुपए की राशि प्रदान की गई। बडे स्तर पर व्यावसायिक रूप से कार्य करने के लिए पूंजी की आवश्यकता थी, इसके लिए समूह एवं बचत राशि से 54 हजार रुपए ऋ ण लेकर मुर्गीपालन का कार्य शुरू किया था।
तीन हजार मुर्गी चूजें मंगवाए
ललिताबाई ने अपने परिचित के माध्यम से हरियाणा से 3000 मुर्गी चूजें मंगवाए थे। उनके वजन में वृद्धि हुई तो बेचना शुरू कर दिया। मुर्गीपालन का कार्य उन्होंने विगत जुलाई माह में आरंभ किया था, अभी चालू माह तक उन्होंने लगभग 5 लाख रुपए की मुर्गियां विक्रय कर दी है, इससे उन्हें 1 लाख रुपए का लाभ मिला।
बाहर से खरीदा आहार
ललिताबाई की माने शुरुआती दौर में इधर-उधर आने-जाने में काफी खर्च हुआ। मुर्गियों का आहार बाहर दुकानों से खरीदा गया। जानकारी के अभाव में उस पर भी ज्यादा खर्चा आया। अब उसने पीसाई के लिए चक्की खरीद ली है जिससे घर पर ही मुर्गियों के लिए आहार तैयार कर देती है और लागत कम आने लगी है। एेसा करने से आगामी दिनों में मुर्गी विक्रय से मुनाफा और बढ़ जाएगा।
यहां से आ रहे खरीददार
ललिता की मुर्गियां खरीदने के लिए उसके पोल्ट्री फार्म पर गांव में रतलाम जिले के बाजना के साथ ही राजस्थान के बांसवाड़ा, कुशलगढ़ आदि स्थानों से व्यापारी उसके पास आ रहे है। पहली ही बार में मुनाफा होने से उसका आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
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