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80 करोड़ का घोटाला उजागर करने वाली फर्म का रोका भुगतान

locationरतलामPublished: Jul 19, 2017 03:29:00 pm

Submitted by:

vikram ahirwar

नगर निगम में चक्कर खाकर परेशान ठेकेदार ने कलेक्टर से की शिकायत

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रतलाम। खाद्य विभाग में चल रहे करीब 80 करोड़ रुपए के राशन घोटाले को उजागर करने वाली फर्म अब अपने भुगतान के लिए भटक रही है। बीते तीन महीनों से निगम में चक्कर लगा रहे ठेकेदार ने परेशान होकर मंगलवार को इसकी शिकायत कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल से की। उसने बताया कि जून 2016 से वह समग्र आईडी बनाने का काम कर रहा है। एक साल बीतने के बाद भी निगम से अब तक उसे भुगतान नहीं किया जा रहा है।

कलेक्टर से शिकायत अकोदिया एसोसिएटस के हेमंत अकोदिया ने की। हेमंत ने बताया कि समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन का काम वह15 जून 2016 से कर रहा है। उसके द्वारा नगर निगम व खाद्य विभाग में चल रहे लाखों-करोड़ों रुपए के घोटाले उजागर किए गए थे, जिसके चलते दोषियों पर कार्रवाई भी हुई है। निगम आयुक्त ने उसकी फर्म के एक लाख तीस हजार रुपए का भुगतान रोक दिया है और आगे के काम का टेंडर भी रिन्युल नहीं किया जाना बताया जा रहा है।

12 हजार फर्जी कार्ड से निकला राशन

अकोदिया की माने तो उसके द्वारा उजागर किए गए राशन घोटाले में 12 हजार फर्जी कार्ड सामने आए थे। वहीं कई परिवारों के कार्डों में हिंदू-मुस्लिम नाम जानबूझकर जोड़कर उनके नाम से भी राशन निकाला गया, जिसकी आमजन को जानकारी हीं नहीं थी। इस तरह से राशन माफियाओं ने उसके ठेके से पूर्व करीब 80 करोड़ का घोटाला किया था, जिसकी हकीकत उसने कलेक्टर के सामने रखी थी।

पेंशन घोटाला किया था उजागर

तात्कालीन कलेक्टर बी. चंद्रशेखर के समय फर्म ने सबसे पहले पेंशन घोटाला उजागर किया था। तीन हजार एेसे नाम फर्म ने कलेक्टर को बताए थे, जो पुरूषों के थे और उनके नाम से बीते तीन साल से विधवा पेंशन जारी हो रही थी। कलेक्टर ने जब उक्त नामों को हटवाया था, उसके बाद से अब तक एक भी शिकायत कलेक्टर कार्यालय में नहीं पहुंची कि उसकी पेंशन बंद हो चुकी है और उसे पुन: चालू कराई जाए।

परिवार सहायता की फाइलें भी नहीं मिली

जांच के दौरान 80 मामले राष्ट्रीय परिवार सहायत के उजागर हुए थे। कलेक्टर ने जब इनकी जांच के निर्देश दिए तो इनमें से 26 फाइलें जांच अधिकारी को मिली ही नहीं थी। वहीं कई लोगों के जीवित होने के बाद भी उन्हें मृत बताकर उनके नाम से एक से दो बार परिवार सहायता के बीस हजार रुपए निकाल लिए गए थे। इन सभी मामलों में कलेक्टर ने जांच कर वसूली के निर्देश दिए थे, लेकिन उनके तबादले के बाद अब जांच पर धूल जमने लगी है।
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