scriptआचार्य विद्यासागर मुनिराज का ५०वां संयम स्वर्ण महोत्सव रतलाम सहित विदेशों में मनेगा | Acharya Vidyasagar Muniraj's 50th Restraint Golden Festival in Ratlam | Patrika News

आचार्य विद्यासागर मुनिराज का ५०वां संयम स्वर्ण महोत्सव रतलाम सहित विदेशों में मनेगा

locationरतलामPublished: Jul 14, 2018 12:58:47 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

श्रमण साधना के ५०वें वर्ष के अन्तर्गत तीन दिनी संयम स्वर्ण महोत्सव १७ जुलाई को मुनि प्रमाण सागर के निश्रा में रतलाम निकलेगी शोभायात्रा

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आचार्य विद्यासागर मुनिराज का ५०वां संयम स्वर्ण महोत्सव रतलाम सहित विदेशों में मनेगा

रतलाम। अपराजेय साधक आचार्य विद्यासागर मुनिराज के श्रमण साधना के ५० वर्ष पूर्ण होने पर संयम स्वर्ण महोत्सव १७ जुलाई को रतलाम में मनाया जाएगा। मुनि प्रमाण सागर महाराज की निश्रा में महोत्सव की तैयारी संकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा वृहत स्तर पर की जा रही है। इस दिन रतलाम में मुनिश्री के चातुर्मास की घोषणा भी हो सकती है। मुनिश्री ने बताया कि गुरुदेव का संयम स्वर्ण महोत्सव तीन दिन रतलाम में मनाया जाएगा। सुबह गुणानुवाद सभा होगी, १७ जुलाई को शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें महिला केसरिया साड़ी और पुरुष श्वेत वस्त्र धारण कर शामिल होंगे।
मुनिश्री ने बताया कि भारत के साथ विदेशों में उत्सव की धूम मची हुई है, सिंगापुर में १४ जुलाई को सैकड़ों की संख्या में धर्मावंली एकत्रित होकर शोभायात्रा, नाटिका के साथ अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। मुनिश्री ने कहा कि युके, शिकागो में भी धूमधाम से महोत्सव मनाया जाएगा।१५ व १६ जुलाई को सुबह गुणानुवाद होगा। १७ जुलाई को चंद्रप्रभु जिनालय से शोभायात्रा निकाली जाएगी, प्रमुख मार्गों से होते हुए जैन स्कूल सागोद रोड पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित होगी। एक दिन सदैव स्वस्थ रहने की कामना के साथ उत्सव भक्तिभाव के साथ मनाए।
एक नजर में आचार्यश्री का परिचय
आचार्य विद्यासागर महाराज के दिव्य तेजोमय आभा मंडल के प्रभाव से उच्च शिक्षित युवा-युवतियां जवानी की दहलीज पर आपश्री के चरणों में सर्वस्व समर्पण कर बैठे। जिनमें भारत के १० राज्यों के युवक-युवतियों को १२० दिगम्बर मुनि, १७२ आर्यिकाएं (साध्वियां), ६४ क्षुल्लक (साधक), ३ क्षुल्लिका (साध्वियां), ५६ ऐलक (साधक) की दीक्षा देकर मानव जन्म की सार्थक साधना करा रहे हैं। गुरुदेव द्वारा प्राचीन जैनाचार्यों के २५ प्राकृत, संस्कृत ग्रंथों का हिन्दी भाषा में पद्यानुवाद कर पाठक को सरसता प्रदान की। महाराज ने नीति धर्म दर्शन अध्यात्म विषयों पर संस्कृत भाषा के ७ शतकों और हिन्दी भाषा में १२ शतकों का सर्जन किया। शताधिक अमृत प्रवचनो के ५० संग्रह ग्रंथ भी पाठकों के लिए उपलब्ध है। भारत के पांच राज्यों में ७२ गौशालाएं संचालित हुई, जिनमें अद्यावधि एक लाख से अधिक गौवंश को कत्लखानों में कटने से बचाया गया। आधुनिक एवं संस्कारित शिक्षा के तीन आदर्श विद्यालय जबलपुर, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में स्थापित किए। महाराज की प्रेरणा से अनेक समाजों ने पाषाण से विशाल जिनालयों के निर्माण के लिए शिलान्यास किए और आचार्यश्री ने जिन तीर्थों पर चातुर्मास ग्रीष्मकालीन या शीतकालीन प्रवास किया, वहां पर जीर्ण-शीर्ण मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया।
एक नजर में आचार्य विद्यासागर मुनिराज

पूर्व नाम- विद्याधर अष्टगे
जन्म स्थान- सदलगा, जिला बेलगांव (कर्नाटक)
जन्म तिथि- शरदपूर्णिमा १० अक्टूबर २९४६
पिता- मल्लप्पा अष्टगे, माता-श्रीमन्ती अष्टगे
मातृभाषा व शिक्षा-कन्नड़
मुनि दीक्षा-आषाढ़ शुक्ल पंचमी, ३० जून १९६८ अजमेर (राजस्थान)
दीक्षागुरु-महाकवि दिगम्बराचार्य ज्ञानसागर महाराज
आचार्य पद- २२ नवंबर १९७२ नसीराबाद (अजमेर) राजस्थान
भाषा ज्ञान-कन्नड़, मराठी, हिन्दी, प्राकृत, संस्कृत, अप्रभ्रंश, अंग्रेजी, बंगला।
विशेषता-धर्म-दर्शन विज्ञ, साहित्यकार, सिद्धान्तवेत्ता, आध्यात्मिक प्रवचनकार, तपस्वी साधक आदि।
तीन मनेगा संयम स्वर्णीम महोत्सव
आचार्य विद्यासागर महाराज ५० वर्षीय स्वर्णीम संयम दिवस के पूर्ण होने पर सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा रतलाम में मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज और मुनिश्री विराट सागर महाराज के सान्निध्य में तीन दिवसीय संयम स्वर्णीम महोत्सव मनाया जाएगा। इसके अन्तर्गत १५ जुलाई को सुबह श्री चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर पर मुनिश्री के सान्निध्य में जिनेंद्र भगवान का अभिषेक, शांतिधारा के बाद गुरुदेव की गुणानुवाद सभा होगी। दोपहर १ बजे से संगीतमय भक्ति के साथ मुनिराजों के सान्निध्य में आचार्य छत्तीस ज्ञान महामंडल पूजन किया जाएगा। समाज के प्रवक्ता मांगीलाल जैन ने बताया कि १६ जुलाई को सुबह शांतिधारा अभिषेक, गुणानुवाद सभा होगी। १७ जुलाई को प्रात: चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर स्टेशन रोड से मुनिश्री के सान्निध्य में शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो प्रमुख मार्गों से होते हुए जैन स्कूल पहुंचकर धर्मसभा के रूप में परिवर्तित होगी। इस अवसर पर आचार्य विद्यासागर महाराज के संगीतमय भक्ति के साथ पूजन होगा। मुनिश्री के मंगल प्रवचन एवं वरिष्ठ समाजजनों द्वारा विनयांजलि प्रस्तुत की जाएगी।
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