इतना ही नहीं कुछ आंगनबाड़ी केंद्र कच्चे तो कुछ अधूरे भवनों में भी चल रहे है। कोरोना संक्रमण के दौर में जब बच्चें केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे थे, उस दौरान भी विभाग अपने भवनों के अधूरे पड़े कार्यों को पूरा नहीं करा सका जिसे नाकामी ही कहा जा सकता है। एेसे भवनों की संख्या एक या दो न होकर इससे कई अधिक है। वर्तमान में जिले में कुल 2124 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे है जिनमें से 1704 बडे़ केंद्र है जबकि 420 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे है, जिनमें माध्यम से बच्चों का विकास करने का प्रयास किया जा रहा है।
603 भवन किराए के
महिला एवं बाल विकास विभाग के पास 2124 में स्वयं के भवन महज 795 ही है। इसके अतिरिक्त 603 आंगनबाडि़यां किराए के भवनों में संचालित हो रही है। इसके साथ ही 723 आंगनबाडि़यां एेसे भवनों में चल रही है जो कि विभाग स्वयं की भी नहीं है और न किराए के भवन है। उक्त आंगनबाडि़यां या तो शासकीय स्कूलों के कक्षों में चल रही है या फिर पंचायत भवनों में बने अतिरिक्त कक्ष के माध्यम से संचालित हो रही है। दरअसल इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी विभाग स्वयं के भवन स्थापित नहीं कर पाया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के पास 2124 में स्वयं के भवन महज 795 ही है। इसके अतिरिक्त 603 आंगनबाडि़यां किराए के भवनों में संचालित हो रही है। इसके साथ ही 723 आंगनबाडि़यां एेसे भवनों में चल रही है जो कि विभाग स्वयं की भी नहीं है और न किराए के भवन है। उक्त आंगनबाडि़यां या तो शासकीय स्कूलों के कक्षों में चल रही है या फिर पंचायत भवनों में बने अतिरिक्त कक्ष के माध्यम से संचालित हो रही है। दरअसल इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी विभाग स्वयं के भवन स्थापित नहीं कर पाया है।
कहीं गड़बड़ी तो कहीं लापरवाही
जिले में बनने वाले आंगनबाड़ी भवनों में 248 भवन आधे पक्के बने हुए है जबकि 52 केंद्र कच्चे भवनों में संचालित है। दरअसल आंगनबाड़ी और स्कूलों के भवन निर्माण के दौरान निर्माण कार्य करने वाली एजेंसियां भी इन कामों के समय पर पूरा नहीं होने के लिए जिम्मेदार है। अधूरे निर्माण कार्य के पीछे कारण कुछ जगह काम करने वालों के द्वारा राशि निकाल कर अन्यत्र खर्च करना तो कहीं लापरवाही बरतना रही जिसके चलते समीक्षा के दौरान कुछ लोगों को जिला और जनपद पंचायत से नोटिस जारी कर वसूली के भी आदेश जारी किए गए थे।
जिले में बनने वाले आंगनबाड़ी भवनों में 248 भवन आधे पक्के बने हुए है जबकि 52 केंद्र कच्चे भवनों में संचालित है। दरअसल आंगनबाड़ी और स्कूलों के भवन निर्माण के दौरान निर्माण कार्य करने वाली एजेंसियां भी इन कामों के समय पर पूरा नहीं होने के लिए जिम्मेदार है। अधूरे निर्माण कार्य के पीछे कारण कुछ जगह काम करने वालों के द्वारा राशि निकाल कर अन्यत्र खर्च करना तो कहीं लापरवाही बरतना रही जिसके चलते समीक्षा के दौरान कुछ लोगों को जिला और जनपद पंचायत से नोटिस जारी कर वसूली के भी आदेश जारी किए गए थे।
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फैक्ट फाइल
आंकडे़ एक नजर में
2124 - कुल आंगनबाड़ी केंद्र
1704 - बडे़ आंगनबाड़ी केंद्र
0420 - मिनी आंगनबाड़ी केंद्र
0795 - स्वयं के आंगनबाड़ी भवन
0603 - किराए के आंगनबाड़ी भवन
0723 - न स्वयं के और न किराए के भवन
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फैक्ट फाइल
आंकडे़ एक नजर में
2124 - कुल आंगनबाड़ी केंद्र
1704 - बडे़ आंगनबाड़ी केंद्र
0420 - मिनी आंगनबाड़ी केंद्र
0795 - स्वयं के आंगनबाड़ी भवन
0603 - किराए के आंगनबाड़ी भवन
0723 - न स्वयं के और न किराए के भवन
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परियोजना के मान से आंगनबाड़ी भवन
आंगनबाड़ी - परियोजना
315 ------ आलोट
416 ------ बाजना
211 ------ जावरा ग्रामीण
057 ------ जावरा शहरी
238 ------ पिपलोदा
139 ------ रतलाम ग्रामीण 2
156 ------ रतलाम शहरी 1
131 ------ रतलाम शहरी 2
163 ------ रतलाम ग्रामीण
298 ------ सैलाना
2124 ------ कुल केंद्र