यूक्रेन से रतलाम तक के सफर के बारे में अनिल ने बताया कि 24 फरवरी की रात से वह उनकी नींद उड़ गई थी। कब सायरन बजे उठते और कई धमाके होते कुछ भी तय नहीं था। उसके बाद रूस के हमले जब बड़े तो उसे और उसके साथियों को मेट्रो के बंकर में भेज दिया गया था। कर्फ्यू के चलते किसी को शहर की सड़कों पर आने की इजाजत भी नहीं थी। दरअसल यूक्रेन में क्यों शहर सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले शहरों में शामिल है।
27 की रात से बॉर्डर का सफर
अनिल ने बताया कि 27 फरवरी की रात वह अपनी टीम के 18 लोगों के साथ बॉर्डर के लिए पैदल रवाना हुआ। कर्फ्यू में थोड़ी देर होने से 4 किलोमीटर पैदल चलकर उनकी टीम रेलवे स्टेशन पहुंची और वहां से जैसे तैसे ट्रेन में चढ़कर बॉर्डर के करीब पहुंचे लेकिन बॉर्डर अब भी दूर थी। यहां से साडे 4 किलोमीटर बस का सफर तय करके बॉर्डर के करीब पहुंचना था लेकिन उसके लिए लगभग ₹6000 खर्च करने पड़े।
अनिल ने बताया कि 27 फरवरी की रात वह अपनी टीम के 18 लोगों के साथ बॉर्डर के लिए पैदल रवाना हुआ। कर्फ्यू में थोड़ी देर होने से 4 किलोमीटर पैदल चलकर उनकी टीम रेलवे स्टेशन पहुंची और वहां से जैसे तैसे ट्रेन में चढ़कर बॉर्डर के करीब पहुंचे लेकिन बॉर्डर अब भी दूर थी। यहां से साडे 4 किलोमीटर बस का सफर तय करके बॉर्डर के करीब पहुंचना था लेकिन उसके लिए लगभग ₹6000 खर्च करने पड़े।
स्लोवाकिया पहुंचकर मिला सुकून
बस से उतरने के बाद करीब 4 से 5 किलोमीटर फिर पैदल चले और स्लोवाकिया की बॉर्डर को पार किया तो यहां के लोगों द्वारा उन्हें खाने-पीने की वस्तुएं उपलब्ध कराई गई। यहां मौजूद भारतीय दूतावास के सदस्यों द्वारा वाहनों के माध्यम से फाइव स्टार होटलों में ले जाकर ठहराया गया। करीब 2 से 3 दिन के इंतजार के बाद उन्हें फ्लाइट मिली और वह दिल्ली पहुंचे। अनिल और उसके पूरे परिवार ने उसके रतलाम पहुंचने तक की मदद को लेकर भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति आभार भी जताया है।
बस से उतरने के बाद करीब 4 से 5 किलोमीटर फिर पैदल चले और स्लोवाकिया की बॉर्डर को पार किया तो यहां के लोगों द्वारा उन्हें खाने-पीने की वस्तुएं उपलब्ध कराई गई। यहां मौजूद भारतीय दूतावास के सदस्यों द्वारा वाहनों के माध्यम से फाइव स्टार होटलों में ले जाकर ठहराया गया। करीब 2 से 3 दिन के इंतजार के बाद उन्हें फ्लाइट मिली और वह दिल्ली पहुंचे। अनिल और उसके पूरे परिवार ने उसके रतलाम पहुंचने तक की मदद को लेकर भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति आभार भी जताया है।