चारित्र का दूसरा नाम संयम और दीक्षा ही है: आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वर महाराज
रतलामPublished: Oct 27, 2023 11:36:16 pm
रतलाम। ज्ञान उसी का सफल है जिसके मन में चारित्र धर्म की स्थापना हो गई है। ज्ञान प्राप्ती के बाद भी जिसके दिल में चारित्र की भावना न होती हो तो वह अज्ञानी ही होता है। चारित्र का दूसरा नाम संयम और दीक्षा ही है।


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यह बात आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वर महाराज ने शुक्रवार को सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में आयोजित विशेष प्रवचनमाला में कही। आचार्यश्री ने कहा कि हम किसी भी शुभ कार्य या आयोजन में लाखों रुपए खर्च करते है, अपनों को बुलाते है लेकिन कभी किसी जरूरतमंद को नहीं बुलाते है। हमारे मन में यह भावना होना चाहिए कि जिसे जरूरत है, हम उसका भी भला कर सके। यदि प्रभु को देखकर भी दीक्षा का भाव मन में आ जाए तो वह प्रभु दीक्षा कहलाती है।