इनके विचार की ये हैं साझीदार रिसर्च स्कॉलर सुनीता जैन कॉलेज में अतिथि विद्वान हैं और रिसर्च स्कॉल के रूप में अकसर कहीं न कहीं आने-जाने का कार्य पड़ता ही है। इस दौरान उन्होंने गरीब बच्चों को ईंटों, रेत से खेलते देखा है। बच्चों को ऐसे खेलते देख खिलौना बैंक के अपने विचार को उन्होंने सहेली दीपाली आप्टे से साझा किया। उन्होंने अपनी दूसरी महिला मित्रों को इससे जोड़कर अभियान के रूप में तैयार करने की बात रखी। इस पर सरोज गुप्ता, शोभा राव और जागृति फटागढ़े को जोड़ा और कुछ दिन पहले ही इस बैंक को शुरू कर दिया।
यह है इनकी योजना खिलौना बैंक में ऐसे लोगों या बच्चों से खिलौने एकत्रित किए जाएंगे जो इनका उपयोग नहीं करते हैं। उन परिवारों से भी ये खिलौने लिए जाएंगे जिनके यहां खिलौने तो हैं लेकिन बच्चे बढ़े हो गए। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति अपने यहां के अनुपयोगी खिलौने इस बैंक में जमा करवा सकते हैं। जिसके पास अतिरिक्त खिलौने हैं वे सरोज गुप्ता के वरदान नगर रामदास गुरुद्वारे के सामने स्थित मकान में बनाए गए केंद्र पर जमा करवा सकते हैं। जैन बताती है कि इस खिलौना बैंक से जुडऩे वाली सभी सामान्य परिवार की युवतियां है।
———– बच्चों में नैतिकता का विकास होगा खिलौना बैंक बनाने से हमारा उ²ेश्य गरीब परिवार के बच्चे को भी खिलौने से खेलने का हक मिले। हम जिन लोगों से ये लेंगे उनमें भी त्याग की भावना आएगी। जैसे पत्रिका के हमदर्द अभियान में लोग बढ़चढ़कर वस्त्र दान कर रहे हैं वैसे ही खिलौने भी दान देवें तो आम जनता और बच्चों में नैतिकता का विकास होगा। यही हमारा उ²ेश्य भी है।
सुनीता जैन, रिसर्च स्कॉलर और खिलौना बैंक की फाउंडर