दरअसल एक बीमा पालिसी कंपनी की इंदौर-देवास क्षेत्र की 25 स्थानों की संपत्ति है। अब इन संपत्तियों के किसी तरह के क्रय-विक्रय पर रोक लगा दी गई है, साथ ही कंपनी संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराने के भी आदेश जारी किए हैं। यह कम्पनी जिले के 90 लोगों की गाड़ी कमाई को लेकर चंपत हो गई थी। निवेशकों की तरफ से केस लगाने वाले एडवोकेट उदयचंद कसेडिय़ा ने बताया कि यह निवेशकों की बड़ी जीत है। कंपनी का मुख्यालय और कार्यालय इंदौर व देवास में है।
एडवोकेट उदयचंद कसेडिया ने बताया कंपनी मालवांचल इंडिया लिमिटेड सुराना काम्प्लेक्स पटवर्धन पेट्रोल पंप एबी रोड देवास, यूएसके इंडिया लिमिटेड कंपनी पांचवी मंजिल महासागर अपार्टमेंट गीताभवन रोड ओल्ड पलालिया इंदौर की डिवेंडर पालिसी ली थी। इसकी परिपक्वता अवधि पूरी होने पर कंपनी के कार्यालय में जमा करवा दिया गया था। इसके बाद राशि प्राप्त करने के लिए कम्पनी के कर्ता-धर्ता कार्यालय को बंद कर फरार हो गए।
कोई अनुमति नहीं थी कंपनी के पास
एडवोकेट कसेडिय़ा ने बताया कंपनी के पास पॉलिसी जारी करने के समय सेबी, रिजर्व बैंक, और कलेक्टर कार्यालय से किसी तरह की विधिवत अनुमति नहीं ली गई थी। कंपनी के संचालकों का कहना था कि उनके पास दस्तावेज और अनुमति है लेकिन वे इन्हें पेश नहीं कर पाए।
दो संचालक पेश भी हुए थे
निक्षेपकों की राशि को लेकर लगाए गए केस चलने के दौरान कंपनी के दो एमडी संजय पिता माखनलाल वर्मा निवासी नावदा तहसील टोंक खुर्द देवास और प्रवीण पटेल निवासी नावदा तहसील टोंक खुर्द देवास अपने वकील के माध्यम से पेश भी हुए थे और प्रकरण में पक्ष भी रखा था।