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BIG ISSUE: मौत के मुंह में डुबकी

locationरतलामPublished: Sep 13, 2021 12:51:54 pm

Submitted by:

sachin trivedi

रतलाम में अमानवीयता की इंतेहा

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रतलाम.
सोचकर देखिए क्या इस तकलीफ से भी ज्यादा कुछ भयानक हो सकता है। ये तस्वीर जितनी कर्मचारी की मजबूरी बयां करती है, उससे कहीं ज्यादा अमानवीयता उन जिम्मेदारों की बताती है, जिन्होंने इसे सीवर में उतारने का फरमान सुनाया है। दरअसल, रविवार को रतलाम के मोचीपुरा में सीवर लाइन के करीब सात फीट गहरे गड्ढे से पानी की निकासी सुगम कराने के लिए सफाईकर्मी संजय साजन और भरत कैलाश की जान जोखिम में डाल दी गई है। स्वच्छता निरीक्षक किरण चौहान के निर्देश पर एक डंडा और लोहे का पाइप लेकर सफाईकर्मी भरत कैलाश को गंदे पानी से भरे गड्ढे में कई बार डुबकी लगानी पड़ी।

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क्या कहता है कानून
1. वर्ष 1993 में हमारे देश में हाथ से मैला ढोने की प्रथा को पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया गया था। वहीं, ऐसे मामलों में एक साल तक के कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया था।

2. देश में हाथ से मैला ढोने की प्रथा को लेकर 2013 में मैनुअल स्कैवेंजर्स के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम 2013 बनाया गया, लेकिन आज भी ऐसे दृश्य सामने आते हैं।

मंत्री बोले- निर्देश दिए जा रहे हैं
सवाल: आखिर तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं?
नगरीय प्रशासन राज्य मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री ओपीएस भदौरिया को नगर निगम के इस रवैए पर अफसोस है, जबकि वे स्वयं शहर में थे। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि ऐसे मामलों में दोहराव न हो, इसके लिए निर्देश दिए जा रहे हैं। यहां सवाल उठता है कि जब घटना हो गई तो तुरंत एक्शन क्यों नहीं लिया जाता।

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