रेलवे अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिमाह चिकित्सा व फूड विभाग पानी के सेंपल लेता है। इनमे पानी की बोतल, आईआरसीटीसी द्वारा कम दर पपर बिक्री हो रहे पेयजल के अलावा रेलवे के प्याऊ व कॉलेानी से सेंपल लिए जाते है। इनमे आईआरसीटीसी द्वाररा बिक्री किए जा रहे पानी के सेंपल कुछ समय पूर्व फेल हो गए। इसके अलावा नागदा व इंदौर में भी पानी के सेंपल फेल हुए।
ये है पानी में कमी, जांच में सामने आई
जांच करने वाले कर्मचारियों के अनुसार प्रतिशत में सेंपल में जांच के दौरान तय है कि क्या कितना होना चाहिए। एेसे में स्टेशन के पानी में मैग्निशियम, कैल्शियम व पोटेशियम की मात्रा तय मानक से ११३ प्रतिशत अधिक पाई गई। इसके बाद पानी को जब्त किया गया। इसी प्रकार एक बार रेलवे कॉलोनी में भी पानी अमानक पाया गया।
ये की कार्रवाई अमानक पानी पर
रेलवे में पानी की जांच करने वाले कर्मचारियों के अनुसार तय मानक से अधिक विभिन्न प्रकार के पदार्थ पाए गए। पानी इतना हार्ड था कि पीने योग्य ही नहीं था। इसके बाद भी धड़ल्ले से बिक्री हो रही थी। इसके बाद आईआरसीटीसी की स्टॉल को बंद कराया गया। बाद में जितना पानी स्टोरज था वह फेकवाया गया व नया पानी भरवाया गया। इतना ही नहीं, आर्थिक जुर्माना की सिफारिश भी की गई।
ये कहना है चिकित्सकों का
जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. अभय ओहरी के अनुसार मैग्निशियम, कैल्शियम व पोटेशियम अधिक होने पर किडनी, पेट, पाचनतंत्र, आंख, दिल व दिमाग पर गंभीर असर डालता है। लगातार इस प्रकार के पानी के उपयोग से किडनी फेल होने की संभावना अधिक रहती है। एेसे में इस प्रकार के पानी के उपयोग से बचना ही चाहिए। डॉ. ओहरी के अनुसार एेसा पानी सबसे पहले पथरी करता है।
सख्त कार्रवाई की जा रही
जांच के बाद जब पानी अमानक पाया गया तो वाणिज्य विभाग द्वारा इसके विके्रताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। यात्रियों को शुद्ध पेयजल स्टेशन पर मिले इसके लिए रेलवे वचनबद्ध है।
– जेके जयंत, वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी, रतलाम रेल मंडल