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Big News: किसानों के गढ़ में इस सर्वे ने उड़ा दी अफसरों की नींद

locationरतलामPublished: Feb 25, 2019 03:09:11 pm

Submitted by:

sachin trivedi

Big News: किसानों के गढ़ में इस सर्वे ने उड़ा दी अफसरों की नींद

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रतलाम। जिस तरह से देश और पूरे विश्व में पेयजल संकट गहराता जा रहा है उसके बारे में कहा जाता है कि आगामी विश्वयुद्ध पानी के लिए हो सकता है। कुछ हद तक ये तथ्य इस मायने में सही भी बैठते हैं कि इस समय भूमिगत जल का जितने बड़े स्तर पर दोहन हो रहा है वह बेहद चिंताजनक है। भूजल विभाग के आंकड़े बताते हैं कि देश के राज्यों के अधिकांश विकासखंड ऐसे है जिसमें भूजल का अतिदोहन हो रहा है। हम केवल रतलाम जिले की ही बात करें तो ये चौंकाने वाली बात सामने आती है कि जिले के चार विकासखंडों में हालत बेहद खराब हैं। सबसे ज्यादा जावरा विकासखंड में हैं जहां वर्षाजल के संग्रहण से पौने दो सौ फीसदी जल दोहन करके बाहर निकाल लिया जा रहा है।
ज्यादा सिंचाई वाले विकासखंडों में ज्यादा
जिले के छह विकासखंडों में भूजल सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों ने जो सर्वे किया है उसके अनुसार भूजल का बहुत ज्यादा दोहन उन विकासखंडों में ज्यादा हो रहा है जहां सिंचाई के साधन बहुत ज्यादा हैं। इन क्षेत्रों में सिंचित रकबा काफी अधिक होने से सर्दी और गर्मी के दिनों में यहां काफी मात्रा में पानी खींचकर सिंचाई की जाती है। इन क्षेत्रों में भूजल को रिचार्ज के स्ट्रक्चर भी बने हैं किंतु वे इतने पर्याप्त नहीं है कि इसकी पूर्ति कर पाए। वर्षा ऋतु में जो जल संग्रहण होता है उसके स्ट्रक्चर भी सीमित मात्रा में ही हैं जिससे पर्याप्त रूप से भूजल रिचार्ज नहीं हो पाता है।
सैलाना और बाजना में 100 फीसदी से कम
रतलाम के छह विकासखंडों में मात्र दो विकासखंड ही ऐसे हैं जिनमें भूजल के दोहन का 100 फीसदी से कम है। इसमें भी एक विकासखंड का रेशो राष्ट्रीयस्तर के मानक रेशो से नीचे हैं। यह विकासखंड बाजना है जहां भूजल का दोहन 75 फीसदी से कम है जबकि सैलाना का 75 से 100 फीसदी के बीच है। यह मानक रेशो से थोड़ा ज्यादा है। इसकी खास वजह है कि इस क्षेत्र में सिंचित क्षेत्र कम है और सिंचाई के साधन भी कम है। साथ ही यहां घनी आबादी वाले शहर या कस्बों की संख्या भी नहीं है जिससे लोगों को पीने के पानी के लिए बहुत ज्यादा ट्यूबवेल लगते हों।
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