बता दे की दिल्ली का बुराड़ी कांच इस समय देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। मध्यप्रदेश के धार, झाबुआ व मंदसौर में इस परिवार की करीबी रिश्तेदारी सामने आई है। एेसे में रिश्तेदारों को कुदेरों तो वे भी अब तक इस मामले में हतप्रभ है। उनके अनुसार वे ये मानने को अब भी तैयार न हो रहे है कि कोई किस तरह आत्महत्या कर सकता है। अब आत्माओं के खुलासे ने तो इन रिश्तेदारों को हिलाकर रख दिया है।
भटका मत करों, मेल मिलाप करते हो पुलिस ने रिश्तेदारों को बताया है कि मामले की जांच करने वाले क्राइमब्रंाच ने ललित के घर से जो रजिस्टर बरामद किए है, उसमे लिखी बातों को आपस में मिलाया जा रहा है। इनमे 9 जुलाई 2015 को लिखा हुआ है कि अपने सुधार की प्रक्रिया को तेज करो। मैं तुम्हारा धन्यवाद करता हूं, तुम भटक जाते हो फिर एक दूसरे की बात मानकर एक छत के नीचे आकर तेल मिलाप कर लेते हो। चार आत्माएं अब भी मेरे साथ भटक रही है। अगर तुम अपने में सुधार करोगे तो उनको भी गति मिलेगी।
हरिद्वार से न मिली गति इनको जो लिखा हुआ है उसके अनुसार आत्माओं को हरिद्वार जाकर गति न मिली। लिखा हुआ है कि तुम सोचते हो हरिद्वार जाकर हम सब कुछ कर आएं तो गति मिल जाएगी। जैसे में इस चीज के लिए भटक रहा हूं, वैसे ही सज्जनसिंह, हीरा, दयानंद व गंगा देवी की आत्मा भटक रही है।
पुलिस जांच करेगी आत्माओं की रिश्तेदारों के अनुसा अब पुलिस इन आत्माओं की जांच करेगी। जांच किस तरह होगी ये तो अब तक साफ न हुआ है, लेकिन क्राइमब्रांच ने भी इस बात को मान लिया है कि ललित पर अपने पिता की आत्मा आती थी। क्योकि उसने रजिस्टर में इन बस बातों का उल्लेख किया है। पुलिस अब रिश्तेदारों के इस बात की जानकारी लेगी कि ये जो चार नाम लिखे गए है, ये कौन है। बात दे की रजिस्टर में इस बात का भी उल्लेख है कि ये सब मेरे सहयोग बने हुए है, ये भी चाहते है कि तुम सब सही कर्म करके अपना जीवन सफल बनाओ। जब हमारे नियमित कार्य पूरे हो जाएंगे तब हम वापस लौट जाएंगे।
पिता की आत्मा आ रही पुलिस के अनुसार पड़ोसी इस परिवार को बेहतर व्यवहार वाला तो मानते है, लेकिन उनके अनुसार परिवारर किसी से कुछ शेयर नहीं करता था। रजिस्टर में 11 वर्षो से जो लिखा जा रहा है, उसके अनुसार ललित में 11 वर्ष से उसके पिता की आत्मा आ रही थी। हैरानी की बात ये है कि 11 वर्ष से ये बात परिवार में साथ रहने वाले रिश्तेदारों के अनुसार और किसी को कुछ पता न था। घर में कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं मिला है। सिर्फ हनुमान चालिसा व गायत्री मंत्र मिले है।