जिला मुख्यालय से लगे गांव करमदी में चौकीदारी करने वाले बालाराम ने बताया कि चौकीदारी करना आसान काम नहीं होता है। हर चीज की जवाबदारी निभाना पड़ती है । गांवों में चौकीदारी करना तो और भी मुश्किल होता है क्योंकि रात में चौकीदारी करना और दिन में प्रशासन के गांव से जुड़े सारे कार्यों में सहयोग करना। ‘चौकीदार चोरÓ नहीं हो सकता है क्योंकि वह इमानदारी से अपना काम करता है। जो भी लोग चौकीदार शब्द का राजनीतिकरण कर रहे हैं वह गलत है। मेरी तीन पीढिय़ां चौकीदारी करती आई हैं। सरकार हमारे कल्याण के लिए कुछ करे तो हमारे नाम का इस्तेमाल करे। हम तो वहीं के वहीं हैं। कई साल से मानदेय नहीं बढ़ा। ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल होता है। मोदी विरोधी हमें देखकर ‘चौकीदार चोर हैÓ कहकर मुस्कराने लगते हैं तो मोदी समर्थक मिलते हैं तो मुझे देखकर ‘मैं भी चौकीदार हूंÓ कहने लगते हैं। मुझे तो दोनों ही ठीक नहीं लगता है।
एमसीएच में (चौकीदारी) गार्ड की नौकरी करने वाले कन्हैयालाल दोनों ही राजनीतिक दलों द्वारा चौकीदार के लिए उपयोग किए जा रहे शब्दों को लेकर खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि देश के प्रधानमंत्री खुद को चौकीदार कहते हैं यह नहीं होना चाहिए। वे देश के सबसे बड़े पद पर बैठे हैं और अपने आप को चौकीदार कहते हैं तो गलत है। कन्हैयालाल का मानना है कि खुद को चौकीदार कहलाने पर हम गर्व महसूस करते हैं लेकिन राजनीतिक दल द्वारा ‘चौकीदार को चोरÓ कहना उनका अपमान है। कोई चौकीदार चोर नहीं होता है। वह तो रखवाली करने वाला इमानदार होता है जिसके जिम्मे चौकीदारी होती है। ऐसे ही कोई चौकीदार थोड़े ही बन जाता है।
2014 के चुनाव के पहले चायवाले के रूप में नरेंद्र मोदी ने जो कैंपेन शुरू किया था। इसके बाद चाय वालों की पूछ परख जरूर बढ़ी थी, लेकिन उनके जीवन में कोई परिवर्तन हुआ हो एसा नहीं। यादव रेस्टोरेंट के संचालक अशोक यादव डालूमोदी बाजार चौराहे पर वर्षों से चाय और नाश्ते की दुकान संचालित करते हैं। वे पहले भी चाय बेचते थे, अब भी वही कर रहे हैं। आगे भी चाय ही बेचेंगे। केतली में चाय उड़लते हुए यादव ने कहा कि चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो उन्हें गरिमामयी शब्दों का उपयोग करना चाहिए जिससे कि संबंधित व्यक्ति को सामाजिक नुकसान नहीं हो। चायवाला कैंपेन तो फिर भी ठीक था लेकिन ‘चौकीदार चोर हैÓ ठीक नहीं लगता।