पं. सोमेश्वर जोशी ने बताया एक वर्ष में 4 बार नवरात्र आते हैं, दो गुप्त नवरात्र और दो मुख्य नवरात्र। चैत्र में आने वाले नवरात्र को बड़े या मुख्य नवरात्र कहा जाता है और अश्विन माह में आने वाली नवरात्र को छोटी नवरात्र। इन नौ दिनों में बहुत सारे शुभ संयोग बनेंगे। हिन्दू पंचांग की मान्यता के अनुसार चैत्र मास के नवरात्र का पहला दिन नव वर्ष के रुप में मनाया जाता है। महाअष्टमी, रामनवमी स्मार्त मतानुसार 13 अप्रैल को रहेगी। इस दिन सुबह 11.41 बजे तक अष्टमी है और इसके बाद नवमी शुरू हो जाएगी। इस मत में मध्याह्न व्यापिनी नवमी को श्रीराम नवमी मानते हैं। 14 अप्रैल को सुबह 9.35 बजे तक नवमी होने से 14 अप्रैल को नवमी मनाएंगे। कलश स्थापना मुहूर्त प्रात: 06.09 से 10.19 बजे तक।
नौ दिनों में बनेंगे 9 शुभ संयोग – 6 अप्रैल-नवरात्र के पहले दिन धाता, वैधृति योग-रेवती नक्षत्र में घट स्थापना।
– 7 अप्रैल-नवरात्र के दूसरे दिन बनेगा सर्वार्थ सिद्धि शुभ योग।
– 8 अप्रैल-नवरात्र के तीसरे दिन बनेगा रवि योग। कार्य सिद्धि
– 9 अप्रैल-नवरात्र के चौथे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा-भूमि, भवन खरीदी ।
– 10 अप्रैल-नवरात्र के पांचवें दिन लक्ष्मी पंचमी व सर्वार्थसिद्धि योग बनेगा-लक्ष्मी पंचमी।
– 11 अप्रैल-नवरात्र के छठे दिन रवियोग रहेगा-संतान सुरक्षा।
– 12 अप्रैल-नवरात्र के सातवें दिन सर्वार्थसिद्धि योग है -नए संबंध चर्चा।
– 13 अप्रैल-अष्टमी पर कुलदेवी पूजन-स्मार्त मतानुसार
नवमी।
– 14 अप्रैल-नवमी के साथ रवि पुष्य व सर्वार्थ सिद्धि वैष्णव मतानुसार सुबह 9.37 तक नवमी।
– 7 अप्रैल-नवरात्र के दूसरे दिन बनेगा सर्वार्थ सिद्धि शुभ योग।
– 8 अप्रैल-नवरात्र के तीसरे दिन बनेगा रवि योग। कार्य सिद्धि
– 9 अप्रैल-नवरात्र के चौथे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा-भूमि, भवन खरीदी ।
– 10 अप्रैल-नवरात्र के पांचवें दिन लक्ष्मी पंचमी व सर्वार्थसिद्धि योग बनेगा-लक्ष्मी पंचमी।
– 11 अप्रैल-नवरात्र के छठे दिन रवियोग रहेगा-संतान सुरक्षा।
– 12 अप्रैल-नवरात्र के सातवें दिन सर्वार्थसिद्धि योग है -नए संबंध चर्चा।
– 13 अप्रैल-अष्टमी पर कुलदेवी पूजन-स्मार्त मतानुसार
नवमी।
– 14 अप्रैल-नवमी के साथ रवि पुष्य व सर्वार्थ सिद्धि वैष्णव मतानुसार सुबह 9.37 तक नवमी।