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चीफ इंजीनियर ने माना अस्पताल में एक्जिट डोर जरुरी, दी स्वीकृति

locationरतलामPublished: Mar 16, 2019 10:50:19 am

Submitted by:

harinath dwivedi

चीफ इंजीनियर ने माना अस्पताल में एक्जिट डोर जरुरी, दी स्वीकृति

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चीफ इंजीनियर ने माना अस्पताल में एक्जिट डोर जरुरी, दी स्वीकृति

रतलाम। रतलाम के मेडिकल कॉलेज में बन रहे 750 बिस्तरों वाले अस्पताल में कमियां सामने आने के बाद मामला मप्र सड़क विकास प्राधिकरण (एमपीआरडीसी) के चीफ इंजीनियर आशुतोष मिश्रा तक बात पहुंच गई। इसी मामले में शुक्रवार को एमपीआरडीसी के चीफ इंजीनियर मिश्रा मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के निर्माणाधीन कार्यों का निरीक्षण करने पहुंचे। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित के साथ बिंदुवार चर्चा के दौरान उन्होंने माना कि ओपीडी, वार्डों और कॉरीडोर में एक्जिट डोर होना जरुरी है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित की तरफ से विभागवार दिए गए कमियों के बिंदुओं में से ज्यादातर पर सहमति जताते हुए इसे पूरा करने को कहा जबकि कुछ बिंदुओं पर असहमति जताते हुए बनाने से मना कर दिया।
नए टायलेट पर कहा नहीं बनेंगे

मेडिकल कॉलेज के अस्पताल की निर्माणाधीन बिल्डिंग में कमियों को लेकर बिंदुवार डीन डॉ. दीक्षित और चीफ इंजीनियर मिश्रा के बीच चर्चा हुई। डीन ने लगभग सभी डिपार्टमेंट में डॉक्टरों के ओपीडी कक्ष से अटैच टायलेट के साथ ही मरीजों व परिजनों के लिए कुछ और टायलेट बनाने की बात कही। इस पर मिश्रा ने कहा जितने डिजाइन और डीपीआर में हैं उससे ज्यादा नहीं बनाए जा सकते है। ज्यादा बनाए जाते हैं तो फिर ड्रेनेज के लिए अलग से पूरा सिस्टम तैयार करना पड़ेगा। जो पहले से तैयार है उसे तोड़कर दोबारा बनाने की स्थिति नहीं है। चीफ इंजीनियर मिश्रा ने ज्यादातर बिंदुओं पर कहा कि वे एजेंसी को निर्देश दे रहे हैं कि जिनके लिए उन्होंने सहमति दी है वे जल्द पूरा करके देवें।
डीन ने किया निरीक्षण
मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेट हेड की तरफ से दिए गए बिंदुओं पर चर्चा के दौरान जिन बिंदुओं पर सहमति बनी इसे लेकर डीन ने अपने डिपार्टमेंट हेड के साथ अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने जाना कि कहां और कमियां रह गई है। हालांकि चीफ इंजीनियर से बिंदुवार हुई चर्चा में जिन पर सहमति बनी उन्हें लेकर डीन भी संतुष्ट हैं। डीन डॉ. दीक्षित के अनुसार यह अच्छा है कि हमारे ज्यादातर बिंदुओं की समस्या का निराकरण कर दिया गया है। चीफ इंजीनियर ने आश्वासन दिया कि जिन पर सहमति हुई है उन्हें जल्द पूरा कर दिया जाएगा। बताई गई कमियों को जितनी जल्दी सुधारा जाएगा उतना ही हमें मेडिकल कॉलेज का अस्पताल को शुरू करने में मदद मिलेगी।
इन पर दी सहमति
– डॉक्टरों की ओपीडी में बने एक्जामिनेशन कक्षों को बड़ा किया जाएगा। दो को मिलाकर एक बना देने से जगह निकल जाएगी।
– ओटी के इंट्रेंस गेट को बड़ा बनाने पर माड्युलर ओटी बनाने वाली कंपनी ही इसे तैयार कराएगी।
– डेंटल डिपार्टमेंट में प्लेटफार्म बनाने, एक्जामिनेशन रूम को बड़ा करने के साथ ही छोटे-छोटे प्लेटफार्म बनाने पर सहमति दी गई।
– रिकार्ड रूम में वेंटिलेशन बनाया जाएगा। साथ ही इसमें पार्टीशन बना दिए जाने से सुविधा होगी।
– आंखों के परीक्षण कक्ष को बड़ा करने और इसकी साइज छह गुणा छह फीट करने को राजी हुए।
– आंख और टीबी डिपार्टमेंट पास-पास होने और बीच में एल्युनिमियम का पार्टीशन होने से इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बीच में बनाए गए पार्टीशन में सीसी की दीवार तैयार की जाएगी।
– आर्थोपेडिक व मेल-फिमेल वार्ड में वाश बेसिन और प्लास्टर कक्ष में वाश बेसिन के साथ ही प्लेटफार्म बनाया जाएगा।
– ओपीडी वार्ड में इमरजेंसी एक्जिट बनाकर दिया जाएगा।
– पीडियाट्रिक्स में क्लीनिकल डेमोस्ट्रेशन रूम, सींक बेसिन और एक्जिट द्वार बनाया जाएगा।
– पीआईसीयू में इमरजेंसी एक्जिट डोर बनाया जाएगा। साथ ही यहां नर्सिंग स्टेशन भी तैयार करेंगे।
– टीबी-चेस्ट वार्ड में आक्सीजन के पाइंट बढ़ाने पर सहमति दी गई।
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