script

पानी के लिए चीफ सेक्रेटरी करेंगे हस्तक्षेप

locationरतलामPublished: May 09, 2019 10:58:52 am

Submitted by:

kamal jadhav

पानी के लिए चीफ सेक्रेटरी करेंगे हस्तक्षेप

Medical College, Ratlam, Chief Secretary, Water, Electricity, MPRDC, PWD

पानी के लिए चीफ सेक्रेटरी करेंगे हस्तक्षेप

रतलाम। मेडिकल कॉलेज परिसर में बने भवनों और यहां तैयार हो रहे ७५० बिस्तरों के अस्पताल को हैंडओवर करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए संभागायुक्त अजीतसिंह बुधवार को मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्होंने मेडिकल कॉलेज का निर्माण करने वाली एजेंसी से लेकर कंस्ट्रक्शन कंपनी, नगर निगम, लोक निर्माण विभाग सहित मेडिकल कॉलेज से जुड़े तमाम विभाग प्रमुखों की बैठक लेकर मप्र सड़क विकास प्राधिकरण (एमपीआरडीसी) के अधिकारी को लताड़ लगाते हुए दो टूक शब्दों में कहा कॉलेज प्रशासन ने जो सुझाव दिए उनका क्या हुआ, क्या दिक्कत आ रही है, इनके बताए हुए कार्यों को ३० जून तक पूरा करने में कोई दिक्कत नहीं आना चाहिए। एमपीआरडीसी के अधिकारी कुछ बातों पर तो ना नुकुर करते रहे लेकिन संभागायुक्त के कड़े रूख को देखते हुए कई अन्य बातों पर सहमति जताते हुए कहा कि ३० जून तक सारे काम पूरे कर लिए जाएंगे। मेडिकल कॉलेज को पर्याप्त पानी नहीं मिलने को लेकर भी उन्होंने नाराजगी जताते हुए वैकल्पिक व्यवस्था पर जोर देते हुए चीफ सेक्रेटरी को इसके लिए पत्र लिखे जाने की बात कही। उनके हस्तक्षेप से ही मेडिकल कॉलेज में पानी की समस्या का स्थायी समाधान हो सकेगा।
एमपीआरडीसी से ही शुरुआत की
संभागायुक्त अजीतसिंह ने बैठक की शुरुआत में एमपीआरडीसी अधिकारियों और निर्माण कंपनी मालानी कंस्ट्रक्शन के प्रोजेक्ट मैनेजरों से चर्चा करके की। उनसे पूछा जो कमियां बताई गई थी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में वे कितनी पूरी हो चुकी है और क्या दिक्कत आ रही है। क्यों समय पर पूरी नहीं हो रही है। एमपीआरडीसी के संभागीय अभियंता अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि काम चल रहा है। टायलेट बनाने के लिए पूरा खोदना पड़ेगा जो संभव नहीं है। इस पर इस पर संभागायुक्त ने दूसरा सवाल दागते हुए पूछ लिया चेकलिस्ट का काम कब तक पूरा हो जाएगा। ३० जून तक इसे हर हाल में काम पूरा करके देना है। जो भी काम करना है जल्द पूरा करो।
ऐसा मत कह देना किसानों को देना था पानी
पानी को लेकर हुई तो संभागायुक्त ने कहा कि पानी के बिना अस्पताल कैसे चलाया जा सकेगा। धोलावाड़ से पानी नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने पीएचई से पानी की समस्या के निराकरण के बारे में पूछा तो बताया गया कि कनेरी जलाशय से पानी दिया जा सकता है। दोनों जगह की दूरी का आकलन करने को कहा गया। उन्होंने बताया कि बीच में ये लोग ऐसा नहीं कहने लगे कि किसानों को पानी देना था इसलिए मेडिकल कॉलेज को पानी नहीं दिया गया। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने नगर निगम से अब तक ३० से ५० हजार लीटर प्रतिदिन औसत पानी ही दे पाया है जबकि इस समय दो लाख लीटर की जरुरत है। अस्पताल शुरू होने पर आठ लाख लीटर की जरुरत होगी तो क्या स्थिति बनेगी।

इमरजेंसी बिजली की क्या व्यवस्था
संभागायुक्त अजीत सिंह ने पूछा कि बिजली की क्या व्यवस्था है अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में। उन्हें बताया गया कि एक लाइन डाली हुई है जिससे सप्लाई हो रही है जबकि दूसरी लाइन भी जोड़ी गई है। इस पर संभागायुक्त ने कहा दोनों ही लाइनों से सप्लाई बंद हो जाए तो फिर क्या करोगे। इस पर बताया गया कि चार जनरेटर सेट अस्पताल के लिए हैं जबकि आपरेशन थिएटरों में यूपीएस लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा सौर ऊर्जा का प्लांट भी लगाया जा रहा है जिससे हम बिजली की आपूर्ति कर सकते हैं। बैठक में कलेक्टर रुचिका चौहान, पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी, तमाम विभागों के अधिकारी, मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित सहित अन्य मौजूद रहे।
हर दिन औसत 60 हजार लीटर
नगर निगम से मिल रहे पानी की अनियमितता को लेकर भी डीन डॉ. दीक्षित ने संभागायुक्त के सामने पूरी हिस्ट्री रख दी। फरवरी से लकर अब तक हर दिन मिले पानी की प्रतिदिन के हिसाब से जानकारी दी गई तो संभागायुक्त ने सीधे कहा कि ऐसे तो मेडिकल कॉलेज का अस्पताल चलाना मुश्किल हो जाएगा। फरवरी में 60 हजार लीटर औसत हर दिन पानी मिला तो मार्च में यह घटकर १९ हजार लीटर पर ही आ गया। अप्रैल माह का भी औसत कोई अच्छा नहीं है। इस माह में 33 हजार लीटर पानी प्रतिदिन औसत दिया गया। मई में जरुर शुरुआती दिनों में अच्छा पानी दिया गया किंतु इसका औसत भी 60 से 62 हजार लीटर के आसपास पहुंच रहा है।

यह भी रहा खास
– मेडिकल कॉलेज हैंडओवर होने के बाद पांच साल तक निगरानी रखेगा। इसलिए निर्माण कंपनी की कुछ राशि का भुगतान नहीं होगा जो पांच साल बाद दी जाएगी।
– मेडिकल कॉलेज के पीछे 4.6 एकड़ भूमि अभी खुली पड़ी है इसकी बाउंड्रीवाल करवाकर कब्जे में लिया जाएगा।
– मेडिकल कॉलेज में पुलिस चौकी खोली जाएगी जिससे यहां सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता रहे।
– कॉलेज के आसपास के इलाकों में नो साउंड जोन विकसित किया जाए। बैंडबाजों या माइक की आवाज परिसर में नहीं आए इसके इंतजाम किए जाएं. जिससे बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान नहीं आए।
– लोनिवि के उज्जैन के चीफ इंजीनियर भी आगामी दिनों में मेडिकल कॉलेज का दौरा करेंगे और जो कमियां रह गई है उन्हें लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
– मेडिकल कॉलेज के लिए एक और अतिरिक्त बिजली लाइन के लिए १८ लाख रुपए एमपीआरडीसी देगा। इसे भी इमरजेंसी फीडर से जोड़ा जाएगा।

ट्रेंडिंग वीडियो