सुबह ९ बजे लग गई कतार
जिला अस्पताल में सुबह ९ बजे पूर्व से विषय विशेषज्ञ चिकित्सकों को दिखाने के लिए कतार लग गई। ओपीडी में बैठे चिकित्सक विश्वास उपाध्याय ने गंभीर मरीजों को विषय विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाने की सलाह दी। हालांकि विशेषज्ञ डॉक्टर सुबह १० बजे तक राउंड के नाम पर अपने कक्ष में नहीं थे। सुबह १० बजे बाद आने का क्रम शुरू हुआ।
जिला अस्पताल में सुबह ९ बजे पूर्व से विषय विशेषज्ञ चिकित्सकों को दिखाने के लिए कतार लग गई। ओपीडी में बैठे चिकित्सक विश्वास उपाध्याय ने गंभीर मरीजों को विषय विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाने की सलाह दी। हालांकि विशेषज्ञ डॉक्टर सुबह १० बजे तक राउंड के नाम पर अपने कक्ष में नहीं थे। सुबह १० बजे बाद आने का क्रम शुरू हुआ।
वापस लौट गई खाचरोद की मरीज
दोपहर १२.३५ बजे कान, नाक व गला रोग विशेषज्ञ बीआर रत्नाकर उठकर चले गए। उनके अनुसार समय हो गया था। इसी बीच खाचरोद से मंजू तिवारी नाम की एक महिला मरीज दिखाने के लिए आई। उनके अनुसार ट्रेन लेट हुई, इसलिए उनको देरी हो गई। जब तलाशने पर भी चिकित्सक नहीं मिले तो वह निराश होकर चली गई।
दोपहर १२.३५ बजे कान, नाक व गला रोग विशेषज्ञ बीआर रत्नाकर उठकर चले गए। उनके अनुसार समय हो गया था। इसी बीच खाचरोद से मंजू तिवारी नाम की एक महिला मरीज दिखाने के लिए आई। उनके अनुसार ट्रेन लेट हुई, इसलिए उनको देरी हो गई। जब तलाशने पर भी चिकित्सक नहीं मिले तो वह निराश होकर चली गई।
दोपहर १२.१८ पर चले गए
ओपीडी में एक बजे तक रुकने का नियम हो, लेकिन मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. निर्मल जैन दोपहर १२.१८ बजे ही चले गए। अपने कक्ष से बाहर आने के बाद कुछ देर तक तो किसी कर्मचारी से इन्होंने देर तक बात की, इसके बाद चले गए। इनके कक्ष में कुछ नर्स जरूर बैठी हुई थी, जो मरीजों को अब डॉक्टर साहब कल मिलेंगे की बात बोल रही थी।
ओपीडी में एक बजे तक रुकने का नियम हो, लेकिन मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. निर्मल जैन दोपहर १२.१८ बजे ही चले गए। अपने कक्ष से बाहर आने के बाद कुछ देर तक तो किसी कर्मचारी से इन्होंने देर तक बात की, इसके बाद चले गए। इनके कक्ष में कुछ नर्स जरूर बैठी हुई थी, जो मरीजों को अब डॉक्टर साहब कल मिलेंगे की बात बोल रही थी।
एक डॉक्टर के भरोसे ओपीडी
ओपीडी में दोपहर १२.३० बजे बाद एक ही चिकित्सक बैठे हुए थे। बाहर करीब २०० से अधिक मरीज अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। सुबह १० बजे तक गंभीर मरीज, दुर्घटना आदि के आए मरीजों को ओपीडी में बैठे चिकित्सक को ही देखने जाना होता है। अब तक इसके लिए अलग व्यवस्था नहीं हुई है।
ओपीडी में दोपहर १२.३० बजे बाद एक ही चिकित्सक बैठे हुए थे। बाहर करीब २०० से अधिक मरीज अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। सुबह १० बजे तक गंभीर मरीज, दुर्घटना आदि के आए मरीजों को ओपीडी में बैठे चिकित्सक को ही देखने जाना होता है। अब तक इसके लिए अलग व्यवस्था नहीं हुई है।
हम सख्ती बरतेंगे
ये गंभीर मामला है। इस मामले में सख्ती की जाएगी। राउंड पर होना तो जरूरी है, लेकिन समय से पूर्व जाना गलत है। इस मामले में सवाल किए जाएंगे। – डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
ये गंभीर मामला है। इस मामले में सख्ती की जाएगी। राउंड पर होना तो जरूरी है, लेकिन समय से पूर्व जाना गलत है। इस मामले में सवाल किए जाएंगे। – डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल