चुनावी साल में जिसने सीएम को सबसे ज्यादा परेशान कर रखा है और वह चुनाव में उसे सीधी टक्कर दे सकता है, वह शासकीय कर्मचारियों का संगठन। दरअसल सरकारी कर्मचारियों के विभिन्न संगठन समय-समय पर अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन करने में जुटे है। इनमें से कुछ को सीएम ने साध लिया है, लेकिन कुछ संगठनों को मनाने में अब तक सीएम कामयाब नहीं हो सके है। यदि चुनाव के पहले सीएम ने इन्हें नहीं साधा तो विधानसभा चुनाव में सीएम हराने
में कांग्रेस के साथ यह लोग भी जुट जाएंगे।
नहीं थम रहा आक्रोश
सरकार के खिलाफ कर्मचारियों का प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। कभी कोई अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करता है, कभी और सड़क पर उतरता है। इन सबके बीच सरकार भी किसको खुश करें और किसे नहीं यह उसके लिए भी दुविधा भरा है। हालाकि अब तक सरकार ने प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों की कुछ मांगों को माना है, तो कुछ में आश्वासन देकर कर्मचारियों को मनाया है। इन सबके बीच अब लिपिक वर्गीय कर्मचारियों ने 23 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
दशक से लंबित है मांग
मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष हरीश कुमार बिंदल ने बताया कि मप्र के लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की दशकों से लंबित समस्याओं का निराकरण करने के लिए सीएम के निर्देश पर एक कमेटी गठित की गई थी, जिसने अपना प्रतिवेदन भी शासन को सौंप दिया है, जिसमें समिति ने 23 अनुशंसाएं की थी। उसके बाद भी लिपिकों की मांग पर शासन द्वारा निर्णय नहीं लिए जाने की स्थिति में प्रांतीय निकाय ने 23 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। हड़ताल प्रदेश के मंत्रालय, विभागाध्यक्ष, संभागीय कार्यालय, जिला व तहसील के साथ विकासखंड कार्यालयों में प्रभावशील रहेगी।
काली पट्टी बांधकर करेंगे काम
हड़ताल पर जाने के पूर्व 16 को सभी लिपिक कर्मचारी काली पट्टी बांधकर विरोध जताएंगे। इसके बाद 20 को सभी जिला मुख्यालयों पर शाम 7 बजे लिपिक मशाल जुलूस निकालकर कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन देंगे।
में कांग्रेस के साथ यह लोग भी जुट जाएंगे।
नहीं थम रहा आक्रोश
सरकार के खिलाफ कर्मचारियों का प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। कभी कोई अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करता है, कभी और सड़क पर उतरता है। इन सबके बीच सरकार भी किसको खुश करें और किसे नहीं यह उसके लिए भी दुविधा भरा है। हालाकि अब तक सरकार ने प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों की कुछ मांगों को माना है, तो कुछ में आश्वासन देकर कर्मचारियों को मनाया है। इन सबके बीच अब लिपिक वर्गीय कर्मचारियों ने 23 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
दशक से लंबित है मांग
मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष हरीश कुमार बिंदल ने बताया कि मप्र के लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की दशकों से लंबित समस्याओं का निराकरण करने के लिए सीएम के निर्देश पर एक कमेटी गठित की गई थी, जिसने अपना प्रतिवेदन भी शासन को सौंप दिया है, जिसमें समिति ने 23 अनुशंसाएं की थी। उसके बाद भी लिपिकों की मांग पर शासन द्वारा निर्णय नहीं लिए जाने की स्थिति में प्रांतीय निकाय ने 23 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। हड़ताल प्रदेश के मंत्रालय, विभागाध्यक्ष, संभागीय कार्यालय, जिला व तहसील के साथ विकासखंड कार्यालयों में प्रभावशील रहेगी।
काली पट्टी बांधकर करेंगे काम
हड़ताल पर जाने के पूर्व 16 को सभी लिपिक कर्मचारी काली पट्टी बांधकर विरोध जताएंगे। इसके बाद 20 को सभी जिला मुख्यालयों पर शाम 7 बजे लिपिक मशाल जुलूस निकालकर कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन देंगे।