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मध्यप्रदेश के इस कलेक्टर ने सुबह 6 बजे तोड़ी थी 12 दुकानें, अब कोर्ट ने कहा हाजिर हो

locationरतलामPublished: Apr 17, 2018 01:00:34 pm

Submitted by:

Ashish Pathak

मध्यप्रदेश के इस कलेक्टर ने सुबह 6 बजे तोड़ी थी 12 दुकानें, अब कोर्ट ने कहा हाजिर हो

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रतलाम। अब तक नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज होते रहे हैं, मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के जावरा में एक कलेक्टर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। मामला दर्ज होने के बाद कोर्ट ने हाजिर होने को भी कहा है। ये पहला अवसर है जब जावरा कोर्ट ने किसी कलेक्टर के खिलाफ इस तरह का निर्णय लिया हो। जिन कलेक्टर के खिलाफ ये मामला हुआ है, वे अभी गुना में पदस्थ है। आरोप है कि तत्कालीन समय में जावरा में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व रहते हुए सुबह ६ बजे १२ दुकानों को गलत तरीके से तोड़ा गया। अब कोर्ट ने इनको बुलावा भेज दिया है।
जावरा कोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के गुना में पदस्थ कलेक्टर राजेश जैन के खिलाफ रतलाम जिले के जावरा कोर्ट ने आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। इसके लिए उन्हें कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने के आदेश दिए गए हैं। असल में ये मामला वर्ष 2002 में जावरा में एसडीएम रहते समय राजेश जैन ने 12 निजी दुकानों को अतिक्रमण बताकर तोडऩे के आदेश दिए थे। इसके बाद दुकानदार प्रकाशचंद्र कोठारी ने तत्कालीन एसडीएम जैन सहित राजस्व निरीक्षक व पटवारी के खिलाफ जावरा कोर्ट में परिवाद लगाया था। उसी के अंतर्गत ये आदेश हुआ है।
भाजपा नेता के रिश्तेदार है कोठारी

जावरा के प्रकाशचंद्र कोठारी मध्यप्रदेश में वर्ष 2008 तक ग्रहमंत्री रहे हिम्मत कोठारी के रिश्तेदार है। कोठारी इस समय राज्य वित्त आयोग अध्यक्ष है। असल में 4800 वर्गफुट की भूमि पर जावरा में 12 दुकानें बनाई गई थी। इन दुकानों को जावरा में तत्कालीन समय में पदस्थ रहे एसडीएम राजेश जैन ने 22 जुलाई 2002 को प्रकाशचंद्र कोठारी का नामांतरण निरस्त कर दिया था। इतना ही नहीं, नामांतरण निरस्त करने के बाद जहां दुकानें बनी थी, उनको तोड़ा गया व उस भूमि को सरकारी घोषित कर दिया गया।
ये लगाए गए आरोप

आरोप हैं कि तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व राजेश जैन ने उस समय तहसीलदार आएस वर्मा, राजस्व निरीक्षक कलश जोशी, पटवारी लक्ष्मीनाराण जोशी के माध्यम से झूठा पंचनामा बनाकर इसको तामीली के फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। इसके बाद एकपक्षीय कार्रवाई की गई। भूमि पर तैयार 12 दुकानों को 29 जुलाई 2002 को सुबह 6 बजे तोड़ दिया गया।

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