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कॉलोनियोंं में कभी तीन तो कभी चार दिन में मिल रहा पानी

locationरतलामPublished: Mar 20, 2019 11:10:41 am

Submitted by:

harinath dwivedi

कॉलोनियोंं में कभी तीन तो कभी चार दिन में मिल रहा पानी

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कॉलोनियोंं में कभी तीन तो कभी चार दिन में मिल रहा पानी

रतलाम। गर्मी का असर तेज होते ही कॉलोनियों में पानी की किल्लत ने मुंह फाडऩा शुरू कर दिया है। शहर की पेयजल व्यवस्था पहले से ही गड़बड़ाई हुई चल रही है और अब गर्मी ने इसमें घी डालने का काम किया है। गर्मी के तेवरों ने लोगों की पानी की जरुरतों को बढ़ा दिया है तो निगम अमला सीवरेज, आए दिन लीकेज और धोलावाड़ से पानी कम आने की समस्या से उबर नहीं पा रहा है। हालत यह है कि लोगों को कहीं तीन दिन तो कहीं चार दिन में पानी मिल रहा है। कहीं माइक से पानी देने की मुनादी होने के बाद भी नहीं मिल पा रहा है।
४५ एमएलडी पानी की जरुरत
शहर की पौने तीन लाख की आबादी को हर दिन पानी देने के हिसाब से 45 एमएलडी पानी हर दिन जरुरी होता है किंतु नगर निगम पिछले कई सालों से एक दिन छोड़कर ही जल प्रदाय कर रहा है। ऐसे में धोलावाड़ से 18 से 20 एमएलडी पानी हर दिन लाकर निगम वितरित कर रहा है। इससे एक दिन आधे शहर को और दूसरे दिन बचा हुआ आधे शहर को पानी वितरित किया जा रहा है। इसमें भी आए दिन होने वाले लीकेज और पाइप लाइन फूटने की वजह से सैंकड़ों लीटर पानी व्यर्थ ही बह जाता है जो लोगों को नहीं मिल कर नालियों में या सड़कों पर बह जाता है।
Water, distress, distress, </figure> crisis , <a  href=drinking water distribution , latest Hindi news” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/03/20/rt2002_4308963-m.jpg”>अब तो जरुरत और बढ़ गई
शहर में मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद जरुरत और बढ़ गई है। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में पहली बैच ही शुरू हुई है। इसके लिए और इसकी फेकल्टी के लिए वर्तमान में करीब एक लाख लीटर पानी की जरुरत लग रही है। यह पानी भी नगर निगम ही इन्हें दे रहा है। ऐसे में पानी की जरुरत और बढ़ गई और अब शहर के हिस्से का पानी मेडिकल कॉलेज को देना शुरू हो गया है। आगामी सालों में मेडिकल कॉलेज जब पूरी तरह शुरू हो जाएगा और यहां अस्पताल भी शुरू हो जाएगा तो इन्हें अनुबंध के हिसाब से हर दिन आठ लाख लीटर पानी की जरुरत पड़ेगी।
शास्त्रीनगर
कभी तीन तो कभी चार दिन में आता पानी
शहर की पॉश कॉलोनी शास्त्रीनगर में ही पेयजल की स्थिति देखी जा सकती है। यहां कभी तीन तो कभी चार दिन में नगर निगम के नलों में पानी आ रहा है। रहवासी शिवलाल शर्मा बताते हैं कि कई बार दिन में तो कई बार देर रात तक पानी सप्लाई होता है। ऐसे में समय का कभी पता नहीं चल पाता कि सही समय पर कब पानी आएगा। पानी का प्रेशर भी बहुत कम होने की समस्या आम है।
देवरा देवनारायण नगर
तीसरे दिन तो मिलता लेकिन कम
हर तीसरे दिन इस क्षेत्र में पानी की सप्लाई होती है। यह बात दीगर है कि तीसरे दिन का कोई समय तय नहीं है। आमतौर पर सुबह पेयजल सप्लाई होना चाहिए किंतु कभी दोपहर में तो कभी रात में १० बजे पानी की सप्लाई होती है। रहवासी सीमा शर्मा के अनुसार पानी की अनियमित और कम प्रेशर से सप्लाई खासकर महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा परेशानी का कारण बन जाती है।
सुभाष गृह निर्माण समिति
कस्तूरबानगर के दूसरी तरफ बनी सुभाष गृह निर्माण समिति की कॉलोनी में तो समस्या कुछ दूसरी ही है। यहां पांच-दस मिनट पानी मिलता है। इसमें भी कभी मटमैला पानी आ जाता है तो कभी बमुश्किल दो-चार बर्तन ही भर पाते हैं। रहवासी चंदा राठौड़ का कहना है कि नगर निगम की पाइप लाइन से नल कनेक्शन लिए तो हैं किंतु उनमें इतना कम प्रेशर से पानी मिलता है कि बर्तन खाली रह जाते।

मनीषनगर कॉलोनी
सुभाष गृह निर्माण समिति से ही लगी मनीषनगर कॉलोनी में भी यह समस्या आम बात है। रहवासी बुजुर्ग महिला नानी बाई बताती है कि यहां पानी की कमी नहीं है किंतु ज्यादातर लोग नलों में टूल्लू मोटरें लगा लेते हैं जिससे दूसरे लोगों को पर्याप्त प्रेशर से पानी ही नहीं मिल पाता है। जिनके यहां मोटरें नहीं हैं वे बर्तन भरने के लिए मशक्कत करते हैं। पानी भरने के लिए मशक्कत करना पड़ती है।
नियमित सप्लाई होती है क्षेत्रों में
क्षेत्रों में जहां जिस दिन पानी सप्लाई का टर्न होता है उस दिन पानी देते ही हैं। इस समय कोई लोकल डेवलपमेंट या लीकेज होने या फिर शहर में चल रहे निर्माण कार्यों से पाइप लाइन डेमेज होने से दिक्कत खड़ी हो जाती है। यह अकसर हो रहा है जिससे लोगों का परेशान होना स्वाभाविक है। सूचना मिलने पर हम तत्काल कार्रवाई करके पाइप लाइन सुधारने के लिए अपना अमला भेज रहे हैं।
एसपी आचार्य, सहायक यंत्री, जलकार्य विभाग, नगर निगम

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