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कहीं अपनापन, कहीं भेदभाव का शिकार हो रहे स्वस्थ हुए मरीज व उनका परिवार VIDEO

locationरतलामPublished: May 30, 2020 10:01:48 am

Submitted by:

Ashish Pathak

कोरोना महामारी के बीच संक्रमण से घिरने के बाद इस बीमारी को मात देकर आए मरीज आज पूरी तरह से स्वस्थ है। शरीर में थोड़ी कमजोरी है लेकिन उनके जज्बे ने कोरोना को मात दे दी है।

18th death due to corona in Jabalpur

18th death due to corona in Jabalpur

रतलाम. कोरोना महामारी के बीच संक्रमण से घिरने के बाद इस बीमारी को मात देकर आए मरीज आज पूरी तरह से स्वस्थ है। शरीर में थोड़ी कमजोरी है लेकिन उनके जज्बे ने कोरोना को मात दे दी है। आज वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने परिवार के बीच घर पर है। कुछ जगह आसपास के लोग उक्त व्यक्ति व परिवार से भेदभाव कर रहे है तो कहीं फिर से इनके लौट आने से आस-पास के लोगों में खुशी है लेकिन अब यहीं लोग सबसे दूरी बनाए हुए है, जिससे कि यदि कोई और संक्रमित हो तो उसके संपर्क में आने से यह फिर से बीमार न हो जाए।
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ठीक होकर आए ये लोग स्वयं भी सोशल डिस्टेंस का पालन कर रहे है और लोगों को भी इसके प्रति जागरूक कर रहे है। इनकी माने तो ये खुश किस्मत थे जो कोरोना को मात दे सके लेकिन हर किसी की एेसी नहीं होती है। इस कारण से शासन के नियमों का पूरी तरह से पालन करें और अनावश्यक घर के बाहर न निकलें।
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बच्चे सहित युवक की छुट्टी
वहीं दूसरी और मेडिकल कॉलेज से शनिवार को कोरोना को मात देकर दो लोग अपने घर लौट गए। इनमें एक दस वर्षीय बालक है तो दूसरी 25 वर्षीय युवक है। इन दोनों को छोड़े जाने के दौरान कलेक्टर रुचिका चौहान मेडिकल कॉलेज पहुंची और वहां पर डीन डॉ. संजय दीक्षित सहित अन्य स्टाफ की मौजूदगी में दोनों मरीजों का स्वागत कर उन्हे किट दी और तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया। साथ ही दोनों सेहत का अच्छे से ध्यान रखने की हिदायत भी दी गई। इधर कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी रुचिका चौहान द्वारा शुक्रवार को जारी किए आदेश के अनुसार सिद्धांचलम् कॉलोनी स्थित कंटेंटमेंट क्षेत्र को खोल दिया गया है। उक्त कंटेनमेंट जोन में अंतिम पुष्ट मामला मिलने के बाद निरंतर 3 सप्ताह तक लैब द्वारा पुष्ट कोई मामला नहीं मिलने पर कंटेनमेंट प्लान स्केल डाउन किया गया है।
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लोग कर रहे भेदभाव
कोरोना को मात देकर जब घर लौटे उसके बाद से आस-पास के लोग अब भेदभाव करके दूरी बनाने लगे है। कोई देखकर दरवाजे बंद कर लेता है तो कोई परदे लगाकर रखता है। हमें जब छोड़ा गया था तो डॉक्टर ने कहां था कि आप लोगों से दूरी बनाकर रखना और यदि कोई और पॉजिटिव होगा तो आप फिर से बीमार हो जाओगे लेकिन हमारे यहां का माहौल फिलहाल ठीक नहीं है। जब हम बीमार थे तब अस्पताल में भी वहां के स्टाफ ने हमारे साथ एेसा व्यवहार नहीं किया, जैसा अब लोग कर रहे है।
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घर आने से हर कोई खुश
पापा रतलाम के पहले कोरोना मरीज थे। उज्जैन में लंबे समय तक उपचार चला और स्वस्थ होकर अब घर आ चुके है। मैं स्वयं भी २५ दिन तक क्वारंटीन सेंटर में रहा था। कोरोना के पहले जिस तरह से हम व आसपास के लोग रहते थे, आज भी वैसे ही रह रहे है लेकिन इस बीमारी के चलते अब सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए नियमों का पालन कर रहे है। आस-पास के लोगों से न हमें कोई परेशानी है और न उन्हें हमसे, हमारे घर लौटने से सभी खुशी है।
– अकसर अहमद, मोचीपुरा
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