वहीं दूसरी और मेडिकल कॉलेज से शनिवार को कोरोना को मात देकर दो लोग अपने घर लौट गए। इनमें एक दस वर्षीय बालक है तो दूसरी 25 वर्षीय युवक है। इन दोनों को छोड़े जाने के दौरान कलेक्टर रुचिका चौहान मेडिकल कॉलेज पहुंची और वहां पर डीन डॉ. संजय दीक्षित सहित अन्य स्टाफ की मौजूदगी में दोनों मरीजों का स्वागत कर उन्हे किट दी और तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया। साथ ही दोनों सेहत का अच्छे से ध्यान रखने की हिदायत भी दी गई। इधर कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी रुचिका चौहान द्वारा शुक्रवार को जारी किए आदेश के अनुसार सिद्धांचलम् कॉलोनी स्थित कंटेंटमेंट क्षेत्र को खोल दिया गया है। उक्त कंटेनमेंट जोन में अंतिम पुष्ट मामला मिलने के बाद निरंतर 3 सप्ताह तक लैब द्वारा पुष्ट कोई मामला नहीं मिलने पर कंटेनमेंट प्लान स्केल डाउन किया गया है।
कोरोना को मात देकर जब घर लौटे उसके बाद से आस-पास के लोग अब भेदभाव करके दूरी बनाने लगे है। कोई देखकर दरवाजे बंद कर लेता है तो कोई परदे लगाकर रखता है। हमें जब छोड़ा गया था तो डॉक्टर ने कहां था कि आप लोगों से दूरी बनाकर रखना और यदि कोई और पॉजिटिव होगा तो आप फिर से बीमार हो जाओगे लेकिन हमारे यहां का माहौल फिलहाल ठीक नहीं है। जब हम बीमार थे तब अस्पताल में भी वहां के स्टाफ ने हमारे साथ एेसा व्यवहार नहीं किया, जैसा अब लोग कर रहे है।
-आरती मालवीय, शिव नगर
घर आने से हर कोई खुश
पापा रतलाम के पहले कोरोना मरीज थे। उज्जैन में लंबे समय तक उपचार चला और स्वस्थ होकर अब घर आ चुके है। मैं स्वयं भी २५ दिन तक क्वारंटीन सेंटर में रहा था। कोरोना के पहले जिस तरह से हम व आसपास के लोग रहते थे, आज भी वैसे ही रह रहे है लेकिन इस बीमारी के चलते अब सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए नियमों का पालन कर रहे है। आस-पास के लोगों से न हमें कोई परेशानी है और न उन्हें हमसे, हमारे घर लौटने से सभी खुशी है।
– अकसर अहमद, मोचीपुरा