रतलाम। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी रश्मि मिश्रा की कोर्ट ने चैक अनादरण के मामले में आरोपी व्यापारी को दो साल कारावास व १२ लाख ४४ हजार रपए अपील अवधि के बाद भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट से प्राप्त जानकारी के अनुसार मोचीपुरा निवासी वहीद अली पिता अहसान अली ने कोर्ट में परिवाद पेश कर शिकायत दर्ज कराई थी कि वह कृषि कार्य करता है। आपसी पहचान और संबंध के कारण व्यापारी सुबोश से मुधर संबंध थे। सुबोध ने श्री साई प्लास्टिक सुथली फैक्ट्री के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र से लोन लिया था। लोन आदयगी के लिए सुबोध ने वहीद अली से ६ लाख ५५ हजार रुपए नगद उधार लिए थे। भुगतान के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंदौर कस्तूरबा नगर शाखा का चेक दिया था। जिसकी निर्धारित तिथि १५ जनवरी २०१२ का ३ लाख का और १५ जनवरी का ३ लाख ५५ हजार का दिया था। ५ जून २०११ को साक्षी उपस्थिति में १०० रुपए के स्टाम्प पर परिवादी के पक्ष में रुपए अदायगी के लिए लिखा था। पर्याप्त राशि नहीं होने से ३ मार्च २०१२ को बाउंस हो गया था। २० मार्च २०१२ को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस दिया। बचाव में तर्क दिया कि गुंडों से उठवाकर डरा धमकाकर हस्ताक्षर करवाए थे। बेटी की शादी में ९ दिसंबर २०११ को होने के कारण रिपोर्ट दर्ज नहीं करवा पाया। १२ जनवरी २०१२ को स्टेशन रोड थाने पर ििशकायत दी थी। परंतु वहीद के खिलाफ शिकायत की और प्रकरण पेश नहीं किया। बाद में बयान में बताया कि एक चैक मूलधन का दूसरा ब्याज का था। श्री साई प्लास्टिक के लिए कोई लोन नहीं लिया। परंतु प्रकरण तथ्य को प्रमाणित नहीं किया। कोर्ट ने चैक अनादरण के मामले में आरोपी को दो साल सश्रम कारावास और १२ लाख ४४ हजार रुपए अपील अवधि के बाद भुगतान करने के आदेश दिए हैं।