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कानून ने दिलाया हक, अब कर्मचारी के विकलांग पुत्र को मिलेगी पेंशन

locationरतलामPublished: Mar 16, 2018 05:27:18 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण जबलपुर द्वारा कर्मचारी के विकलांग पुत्र को पेंशन देने के संबंध में आदेश दिए

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रतलाम। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण जबलपुर द्वारा कर्मचारी के विकलांग पुत्र को पेंशन देने के संबंध में आदेश गुरुवार को जारी किए हैं।
एडवोकेट केसी रायकवार ने बताया कि प्रार्थी लेबलिंगन हाईड गत दो सोलो से परिवार पेंशन की स्वीकृति के लिए मंडल कार्यालय रतलाम के चक्कर लगा रहा था। लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी, वह आर्थिक रूप से कमजोर हो गया, उसके पिता स्वर्गीय डेमसन हाईड ड्रायवर के पद पर नीमच में पदस्थ थे। जिनकी दिनांक १८ नवंबर १९६८ में मृत्यु हो गई थी। तदपश्चात उसकी मां को पारिवारिक पेंशन दी गई। मां म्यूरियल माइनेंस हाईड की मृत्यु १ मई २०१४ को हुई। लेकिन रेलवे द्वारा तीन साल तक कोई समाधान पूर्वक कार्यवाहीं नहीं की गई। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण जबलपुर में मूल प्रकरण क्रमांक २३२/२०१८ प्रस्तुत कर निवेदन किया कि डीआरएम रतलाम प्रकरा में विवेकपूर्ण एवं सहानुभूतिपूर्ण निर्णय लेकर परिवार को पेंशन स्वीकृति करे। क्योकि विकलांग पुत्र जो दिमागी रूप से परेशान भी है, बहन में ऊपर आश्रित है। बहन भी आर्थिक तंगी से गुजर रही हैं।
रतलाम डीआरएम को दिए निर्देश
अधिवक्ता के तर्क से संतुष्ट होकर मेम्बर जज रमेश सिंह ठाकुर तथा प्रशासनिक मेम्बर उदय कुमार वर्मा ने डीआरएम रतलाम को दिशा निर्देश दिए है कि चार माह में अभ्यावेदन का निराकरण कर मृतक कर्मचारी के बच्चों को पेंशन प्रदान करें तथा अभ्यावेदन का निराकरण करे।
चैक अनादरण के मामले में दो साल की सजा
रतलाम। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी रश्मि मिश्रा की कोर्ट ने चैक अनादरण के मामले में आरोपी व्यापारी को दो साल कारावास व १२ लाख ४४ हजार रपए अपील अवधि के बाद भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट से प्राप्त जानकारी के अनुसार मोचीपुरा निवासी वहीद अली पिता अहसान अली ने कोर्ट में परिवाद पेश कर शिकायत दर्ज कराई थी कि वह कृषि कार्य करता है। आपसी पहचान और संबंध के कारण व्यापारी सुबोश से मुधर संबंध थे। सुबोध ने श्री साई प्लास्टिक सुथली फैक्ट्री के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र से लोन लिया था। लोन आदयगी के लिए सुबोध ने वहीद अली से ६ लाख ५५ हजार रुपए नगद उधार लिए थे। भुगतान के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंदौर कस्तूरबा नगर शाखा का चेक दिया था। जिसकी निर्धारित तिथि १५ जनवरी २०१२ का ३ लाख का और १५ जनवरी का ३ लाख ५५ हजार का दिया था। ५ जून २०११ को साक्षी उपस्थिति में १०० रुपए के स्टाम्प पर परिवादी के पक्ष में रुपए अदायगी के लिए लिखा था। पर्याप्त राशि नहीं होने से ३ मार्च २०१२ को बाउंस हो गया था। २० मार्च २०१२ को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस दिया। बचाव में तर्क दिया कि गुंडों से उठवाकर डरा धमकाकर हस्ताक्षर करवाए थे। बेटी की शादी में ९ दिसंबर २०११ को होने के कारण रिपोर्ट दर्ज नहीं करवा पाया। १२ जनवरी २०१२ को स्टेशन रोड थाने पर ििशकायत दी थी। परंतु वहीद के खिलाफ शिकायत की और प्रकरण पेश नहीं किया। बाद में बयान में बताया कि एक चैक मूलधन का दूसरा ब्याज का था। श्री साई प्लास्टिक के लिए कोई लोन नहीं लिया। परंतु प्रकरण तथ्य को प्रमाणित नहीं किया। कोर्ट ने चैक अनादरण के मामले में आरोपी को दो साल सश्रम कारावास और १२ लाख ४४ हजार रुपए अपील अवधि के बाद भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
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