एसपी गौरव तिवारी दोपहर में बस स्टैंड पहुंचे और यहां बनी चौकी कक्ष को देखा। इसके बाद बस स्टैंड पर जाकर उन कक्ष के बारे में जानकारी ली, जिसमें बैठकर लोग शराबखोरी करते है। एसपी ने यहां बने पूछताछ केंद्र के कर्मचारी से जानकारी जुटाई तो उसके द्वारा भी अनभिज्ञता जाहिर की गई। इसके बाद एसपी ने बस स्टैंड परिसर में बने हर कक्ष व हॉल के बारे में जानकारी ली। इसके बाद यहां के पुराने प्रतिक्षालय पर बने कक्ष के पास पहुंचे। उन्हे खुला देख उसमें बैठे युवकों को बुलाया।
किसकी अनुमति से बैठे हो
एसपी ने कक्ष में बैठे युवकों को बुलाया और पूछा कि यहां क्या कर रहे हो, इस पर उनके द्वारा बताया गया कि यहां पर बसों के माध्यम से आने वाले पार्सल को यहां रखा जाता है, बाद में संबंधित के आने पर उसे देते है। एसपी ने उक्त कक्ष का इस्तेमाल करने के संबंध में अनुमति की जानकारी ली तो संबंधित युवकों ने उसके लिए किया गया आवेदन पत्र दिखाया ये देख एसपी ने कक्ष पर ताला लगवा दिया और नगर निगम आयुक्त को इसकी जानकारी देने की बात कही।
बस व ऑटो व्यवस्थित हो
एसपी ने चौकी पर मौजूद पुलिसकर्मियों को निर्देश दिए कि बस स्टैंड पर बसे व्यवस्थित तरीके से खड़ी हो और ऑटो- रिक्शा चालक भी उनके नियत स्थान पर वाहनों को खड़ा रखे। इधर-उधर वाहन खडे़ नजर आए तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। एेसा नहीं करने पर चौकी पर मौजूद स्टाफ पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं बस स्टैंड से निकलने के बाद कोई भी बस बाहर सड़क पर दो मिनट के लिए भी खड़ी नहीं होगी। यदि कोई बस यहां खड़ी नजर आई तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
पांच और बच्चों को टीका लगने के बाद घबराहट हुई
रतलाम। मीजल्स रूबेला टीकाकरण के बाद गुरुवार को दो स्कूलों के पांच बच्चों को बाल चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। इन्हें घबराहट और चक्कर आने की शिकायत हुई थी। बच्चों को भर्ती करके इंजेक्शन और सलाइन लगाई गई और फिर करीब एक घंटे बाद इन्हें यहां से छुट्टी दे दी गई। मीजल्स रूबेला टीकाकरण के दौरान बुधवार को भी एक सरकारी स्कूल की चार बालिकाओं को घबराहट होने से बाल चिकित्सालय में भर्ती किया गया था।
गुरु तेग बहादुर और जैन कन्या चौमुखीपुल के इन बच्चों के बाल चिकित्सालय में भर्ती होने की सूचना मिलने पर बाल चिकित्सालय प्रभारी आरसी डामोर को कॉल करके अस्पताल बुलाया गया जबकि ड्यूटी डॉक्टर तेजसिंह देवड़ा ने इन्हें भर्ती करके सलाइन चढ़वाई। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. वर्षा कुरील और एपिडेमियोलाजिस्ट डॉ. प्रमोद भी बाल चिकित्सालय पहुंचे। बच्चों के अभिभावकों को भी स्कूलों के शिक्षकों ने सूचना दी थी तो वे भी बाल चिकित्सालय पहुंचे। करीब एक घंटे तक रखने के बाद एक-एक करके सभी बच्चों को छुट्टी दे दी गई। डॉ. प्रमोद ने बताया बच्चों में साइकोलाजीकल प्रभाव पड़ता है। बच्चे खाना खाकर नहीं जाते हैं या हल्का नाश्ता करते हैं जिससे दोपहर में इंजेक्शन लगने से घबराहट हो गई। यह एक सामान्य है कि भूखे पेट कोई दवाई ली जाए तो घबराहट होती है। ऐसा ही इन बच्चों के साथ हुआ।