जिला मुख्यालय में Crocodile मगरमच्छ की आमद मिली है। इस सूचना के बाद हड़कंप मच गया। बाद में वन विभाग की टीम ने आकर इसको पकड़ा है। करीब 7 से 8 फीट लंबा मगरमच्छ नदी के रास्ते रतलाम के गांव तक पहुंच गया था।
रतलाम. जिला मुख्यालय से तकरीबन 5५ किलोमीटर दूर चंबल व मलेनी नदी के पास स्थित रिंगनोद थाना क्षेत्र के ग्राम मन्याखेड़ी के एक खेत में करीब सात से आठ फीट लंबा Crocodile मगरमच्छ घुस गया। मगरमच्छ खेत में पड़े हुए लकड़ी के ढेर के नीचे जाकर बैठा हुआ था। रतलाम के गांव में मगरमच्छ आने के खबर फैलने से हड़कंप मच गया और लोगों की भीड़ जमा हो गई। बाद में सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम व पुलिस दल मौके पर पहुंचा। वन विभाग के बचाव दल ने शनिवार रविवार की आधी रात रेस्क्यू कर सात से आठ फीट लंबा मगरमच्छ को पकड़कर बोरे में बांधा। सात से आठ फीट लंबा मगरमच्छ को मंदसौर जिले के गांधीसागर डेम के वन्यप्राणी अभ्यारण क्षेत्र में ले जाकर छोड़ दिया गया।
मन्याखेड़ी निवासी श्रवणदास बैरागी ने मीडिया को बताया गांव के एक किसान तुलसीराम पाटीदार के खेत में सात से आठ फीट लंबा मगरमच्छ आ गया था। किसी व्यक्ति ने खेत में लकडियों के पास मगरमच्छ को देखा तथा गांव में आकर सभी को सूचना दी। सूचना मिलने के बाद गांव के लोग जमा हुए और पुलिस व वन विभाग को सूचना दी। इधर सूचना मिलने पर रात दस बजे वन मण्डलाधिकारी डीएस डोडवे के मार्गदर्शन में रतलाम व जावरा की संयुक्त टीम रवाना हुई। शनिवार व रविवार की मध्य रात एक बजे टीम ने मौके पर पहुंचकर देखा कि सात से आठ फीट लंबा मगरमच्छ लकडयि़ों के नीचे बैठा था। टीम ने सावधानीपूर्वक उसकी घेराबंदी की और रस्सी का फंदा डालकर उसे पकड़ा। बचावदल का नेतृत्व कर रहे रतलाम के वन परिक्षेत्र सहायक गोपाल परमार ने बताया कि टार्च की रोशनी डालकर देखा तो सात से आठ फीट लंबा मगरमच्छ लकडियों के ढेर के नीचे घुसकर बैठा था। सात से आठ फीट लंबे मगरमच्छ की पूंछ बाहर साफ आ रही थी।
इस तरह पकड़ा गया सात से आठ फीट लंबा मगरमच्छ वनकर्मियों ने पहले बल्ली से रस्सी का फंदा उसके मुंह तक ले जाकर पैरों से निकालकर कमर तक ले गए, फिर सात से आठ फीट लंबे मगरमच्छ को खींचा तो वह हमला करने लपका, तभी उसकी तरफ लकड़ी का टूकड़ा फेंका गया। उसने लकड़ी का टूकड़ा मुंह से पकड़ा। इसके बाद रस्सी का फंदा उसके मुंह में फंसाकर टीम ने मगरमच्छ को अपने कब्जे में लेकर उसके पैर भी बांधे। इसके बाद मगरमच्छ को टाट के बोरे में लपेटकर बांध दिया। वहां से मगरमच्छ को जावरा के वन विभाग परिसर ले गए। रविवार सुबह उसे गांधीसागर डेम क्षेत्र स्थित वन्यप्राणी अभ्यारण में ले जाकर छोड़ा गया। टीम में रतलाम परिक्षेत्र सहायक गोपाल परमार के साथ मुंदड़ी परिक्षेत्र सहायक आरएस जोशी, जावरा परिक्षेत्र सहायक कमलसिंह देवड़ा, ताल बीट के गार्ड एस शर्मा, रिंगनोद के बीट गार्ड दशरथ वसुनिया, जावरा के बीट गार्ड हरीशचंद्र भट्ट शामिल थे।
IMAGE CREDIT: patrikaयहां से रतलाम में आया था मगरमच्छ वन विभाग के अधिकारियो ने बताया मन्याखेड़ी गांव रिंगनोद से करीब चार किलोमीटर दूर है। गांव बेहद करीब ही चंबल व मलेनी नदी है। इन नदियों में गांव से होकर रुपनिया खाल का नाला जाता है। वन परिक्षेत्र सहायक गोपाल परमार ने बताया कि सात से आठ फीट लंबा मगरमच्छ नदियों में बहकर नाले में पहुंचा होगा तथा नाले से होकर पाटीदार के खेत में पहुंचा था। अब सात से आठ फीट लंबे मगरमच्छ सुरक्षित पकड़कर गांधीसागर ले जाकर छोड़ दिया गया है।