यह बात सोमवार को आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज के शिष्य, राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर महाराज ने कही। गोशाला रोड़ स्थित आचार्यश्री सम्मति सागर त्यागी भवन (साठ घर का नोहरा) में सोमवार सुबह धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में यदि नियम नहीं हुए तो कहीं भी सफलता नहीं मिलेगी। अध्ययन के लिए भी यदि नियम से पढ़ाई ना हो तो व्यक्ति पास नहीं होता अपितु फेल हो जाता है। जन्म से ही हर व्यक्ति एक व्यवस्था और नियम से बंधा होता है। हर समाज में यह व्यवस्था होती है। इसलिए हर व्यक्ति को व्यवस्थानुसार ही जीवन में आगे बढऩा चाहिए। यदि समाज की व्यवस्था का पालन नहीं हुआ तो हम समाज में नहीं रह पाएंगे।
व्यवस्था को तोड़ा तो पहचान नहीं
आचार्य ने कहा कि कोई जैन है अथवा कोई हिंदू है या कोई मुस्लिम है तो वह एक व्यवस्था के अन्तर्गत ही जाना जाता है। यदि व्यवस्था को तोड़ा तो पहचान नहीं रह पाएगी। हर समाज के जो नियम है वे ही व्यक्ति को पहचान दिलाते हैं। सामाजिक जीवन में नियम व्यवस्था में रूचि नहीं होती। लेकिन परिणामों में सबकी रूचि होती है। परीक्षा देना हो तो वह रूचिकर नहीं लगेगी लेकिन जब परिणाम आएंगे तो सबकी रूचि रहेगी। उन्होंने कहा कि नियम सभी रूखे होते हैं उनमें सुख का रस नहीं होता। सूख सिर्फ परिणाम ही देता है।
आचार्य ने कहा कि कोई जैन है अथवा कोई हिंदू है या कोई मुस्लिम है तो वह एक व्यवस्था के अन्तर्गत ही जाना जाता है। यदि व्यवस्था को तोड़ा तो पहचान नहीं रह पाएगी। हर समाज के जो नियम है वे ही व्यक्ति को पहचान दिलाते हैं। सामाजिक जीवन में नियम व्यवस्था में रूचि नहीं होती। लेकिन परिणामों में सबकी रूचि होती है। परीक्षा देना हो तो वह रूचिकर नहीं लगेगी लेकिन जब परिणाम आएंगे तो सबकी रूचि रहेगी। उन्होंने कहा कि नियम सभी रूखे होते हैं उनमें सुख का रस नहीं होता। सूख सिर्फ परिणाम ही देता है।
यह बोले पत्रिका से पत्रिका से चर्चा में आचार्य ने कहा कि सीएए का कानून देश में सभी को मानना चाहिए, क्योंकि देश का विभाजन जब हुआ तब अन्य देश में जाने की सुविधा दी गई थी। इस कानून का विरोध करना देश के संविधान का विरोध करना है। देश में बढ़ती दुष्कर्म की घटना पर बोले की इसके लिए बेटों को परिवार में संस्कार दो योजना का अभाव प्रमुख कारण है। बेटी पढ़ाओ व बेटी बचाओं बेहतर योजना है, लेकिन बेटों के लिए भी कायदे का ज्ञान परिवार में देना जरूरी है।